World Red Cross Day 2024: जानें क्या है वर्ल्ड रेड क्रॉस डे, जानें लोगों के जीवन में क्या है इसका महत्व
एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन जो हमेशा लोगों की सेवा के लिए रहता है तत्पर
नई दिल्ली। विश्व रेड क्रॉस दिवस हर साल 8 मई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन के सिद्धांतों को याद करने के लिए मनाया जाता है। वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का मुख्य उद्देश्य असहाय और घायल सैनिकों और नागरिकों की रक्षा करना और उनको सेवा प्रदान करना है। इस दिन रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के संस्थापक हेनरी डुनेंट की जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन हेनरी डुनेंट को मानवतावादी संगंठन और उसकी ओर से मानवता की सहायता के लिए अभूतपूर्व योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी जाती है।
वर्ल्ड रेड क्रॉस
रेड क्रॉस एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन है। इसका हेडक्वाटर स्विटजरलैंड के जिनेवा में है। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास और कई नेशनल सोसाइटी मिलकर इस संस्था का संचालन करती है। कोविड-19 महामारी के दौरान रेड क्रॉस आंदोलन की अहमियत और भी बढ़ गई है।
वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का महत्व
वर्ल्ड रेड क्रॉस सोसाइटी किसी भी बीमारी या युद्ध संकट में अपने वॉलेंटियर्स के साथ लोगों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। कोविड को हराने के लिए रेड क्रॉस ने युद्धस्तर पर काम किया और कोरोना से बचाव के लिए दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों की सेवा की और लोगों को मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर भी बांटे।
वर्ल्ड रेड क्रॉस डे का इतिहास
स्विटजरलैंड के कारोबारी जीन हेनरी ड्यूनेंट 1859 में इटली में सॉल्फेरिनो का युद्ध देखा। जिसमें में बड़ी तादात में सैनिक मारे गए और घायल हुए थे। किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए क्लिनिकल सेटिंग नहीं थी। ड्यूनेंट ने वॉलेंटियर्स का एक ग्रुप बनाया जिसने युद्ध में घायल जवानों तक खाना और पानी पहुंचाया। इतना ही नहीं इस ग्रुप ने उनका इलाज कर उनके परिजनों को चिट्ठियां भी लिखीं
इस घटना के 3 साल बाद हेनरी ने अपने अनुभव को एक किताब ‘ए मेमोरी ऑफ सॉल्फेरिनो’ की शक्ल देकर प्रकाशित कराया। पुस्तक में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया। ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके। ।
जिनेवा पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने फरवरी 1863 में एक कमेटी का गठन किया। जिसकी अनुशंसा पर अक्टूबर 1863 में एक विश्व सम्मेलन किया गया। इसमें 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें कई प्रस्तावों और सिद्धांतों को अपनाया गया। इसके बाद 1876 में कमेटी ने इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रास (ICRC) नाम अपनाया।