World Heritage Day 2024: जानें क्यों मनाया जाता है विश्व विरासत दिवस, जानें क्या है इसका इतिहास

दुनिया भर के ऐतिहासिक धरोहरें में छिपे है कई कहानियां और किस्से

नई दिल्ली। विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है। विश्व विरासत दिवस को “स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्त्व और उनके अस्तित्व के सम्भावित खतरों व उनके संरक्षण के प्रति जनता को जागरूक करना।

विश्व विरासत दिवस क्यों मनाया जाता है?
वर्ष 1982 में इकोमार्क नामक एक संस्था ने ट्यूनिशिया में अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल दिवस का आयोजन किया तथा उस सम्मेलन में यह विचार भी व्यक्त किया गया कि विश्व भर में जागरूकता के प्रसार के लिए विश्व विरासत दिवस का आयोजन किया जाना चाहिए। इसके बाद 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव 1982 में “अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद्” (I.C.O.M.O.S) ने लाया। 1983 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की महा सभा के सम्मेलन में इसके अनुमोदन के बाद प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषणा की गई।

यूनेस्को द्वारा घोषित कुल विरासत स्थल
वर्तमान में विश्व भर में कुल 1154 ऐसे विरासत स्थल यूनेस्को द्वारा घोषित किये गये हैं। इनमें 897 स्थल सांस्कृतिक , 218 स्थल प्रकृतिक,जबकि 39 स्थल मिश्रित श्रेणी में रखे गये हैं। 43 स्थल ऐसे हैं जो 2 या 2 से अधिक देशों में विस्तृत हैं। 52 स्थलों को संस्था द्वारा संकटापन्न बताया गया है। भारत में ऐसे विरासत स्थलों की कुल संख्या 40 है जिनमें से 32 स्थल सांस्कृतिक ,7 स्थल प्राकृतिक व 1 स्थल मिश्रित श्रेणी से हैं।

विश्व विरासत दिवस की थीम
इस वर्ष के विश्व विरासत दिवस की थीम है ‘विरासत और जलवायु’

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