क्यों इस्तीफा देना पड़ा मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को: घटनाओं की श्रृंखला

मणिपुर:  मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को अंततः अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। राज्य भाजपा से बढ़ते दबाव और दिल्ली में एक सप्ताह के भीतर दो दौरे करने के बाद, उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से समर्थन खोने के कारण यह कदम उठाना पड़ा। कूकी-जो नेताओं का विरोध, इम्फाल घाटी में उनकी घटती लोकप्रियता, विपक्ष की इस्तीफे की मांग, और एक महत्वपूर्ण NDA साझीदार का समर्थन वापसी, इन सभी कारणों के चलते रविवार को बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।

कूकी-जो समुदाय और भाजपा विधायकों का विरोध
कूकी-जो समुदाय और उनके 10 विधायक, जिनमें सात भाजपा विधायक शामिल हैं, बीरेन सिंह को राज्य में 3 मई 2023 से शुरू हुए जातीय संघर्ष का जिम्मेदार मानते हैं। पिछले साल से ही उनके अपने पार्टी के विधायक लगातार मुख्यमंत्री बदलने की मांग कर रहे थे। भाजपा नेतृत्व ने हालांकि शुरू में बीरेन सिंह का समर्थन किया।

बजट सत्र और विपक्ष की रणनीति
कभी न कभी यह बदलाव मणिपुर विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आया, जो सोमवार से शुरू होने वाला था। विधायकों की बढ़ती शिकायतों और अनसुनी मांगों के बाद, विरोधी विधायकों ने कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने की योजना बनाई। विधानसभा सत्र के पास आते ही पार्टी के अंदर विभाजन और विरोध गहरा गया।

दिल्ली दौरे और भाजपा नेतृत्व से मुलाकात
बीरेन सिंह ने 3 फरवरी को दिल्ली का दौरा किया, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नहीं मिल पाए। इसके बाद, 5 फरवरी को वे फिर से दिल्ली गए और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात की। दो घंटे की चर्चा के बाद, यह निर्णय लिया गया कि उन्हें इस्तीफा देना होगा।

केंद्र की नई रणनीतियां और भाजपा का निर्णय
भाजपा नेतृत्व ने हाल ही में सीमा सुरक्षा बढ़ाने और कानून-व्यवस्था पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए थे। इनमें भल्ला की नियुक्ति और प्रशासनिक सुधारों का एक हिस्सा शामिल था। भाजपा नेतृत्व को यह चिंता थी कि यदि सरकार गिरी तो इन प्रयासों को नुकसान हो सकता था।

स्थानीय भाजपा नेताओं का समर्थन वापस लेना
भाजपा के भीतर विरोध बढ़ते ही, बीरेन सिंह का नेतृत्व अब पार्टी के लिए एक बोझ बन चुका था। लोकसभा चुनावों में मणिपुर में भाजपा को दो सीटों का नुकसान हुआ था, जो पहले भाजपा के पास थीं। इसके बाद नवंबर में विधायकों और मंत्रियों के घरों पर हमले और हिंसा के बाद विरोध और बढ़ गया था।

निष्कर्ष
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा नेतृत्व का मानना था कि पार्टी को मणिपुर में एक नए नेतृत्व की जरूरत थी। इससे न केवल सरकार की स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि केंद्र की योजनाओं को भी बल मिलेगा।

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