कौन होते हैं चिरंजीवी? जानिए हिंदू धर्म के आठ अमर व्यक्तियों के बारे में

नई दिल्ली: चिरंजीवी का अर्थ होता है “अमर” या “हमेशा जीवित रहने वाला व्यक्ति”। हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में ऐसे आठ चिरंजीवियों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें अजर-अमर माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, ये चिरंजीवी आज भी धरती पर किसी न किसी रूप में मौजूद हैं। आइए जानते हैं इन आठ चिरंजीवियों के बारे में:

1. अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य और कृपी के पुत्र अश्वत्थामा को महाभारत युद्ध के बाद चिरंजीवी होने का श्राप मिला था। ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा आज भी धरती पर विचरण कर रहे हैं।

2. राजा बलि
असुरों के राजा बलि को भगवान विष्णु के वामन अवतार ने तीन पग भूमि मांगकर पाताल लोक में भेजा था। बलि को चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था, और कहा जाता है कि वे कलियुग में भगवान विष्णु के अगले अवतार कल्कि से मिलेंगे।

3. महर्षि वेदव्यास
महर्षि वेदव्यास को महाभारत के रचयिता और वेदों के संकलनकर्ता के रूप में जाना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, वे भी चिरंजीवी हैं।

4. हनुमान जी
भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी को वरदान प्राप्त है कि जब तक पृथ्वी पर रामकथा का गायन होगा, वे जीवित रहेंगे।

5. विभीषण
रावण के भाई विभीषण, जिन्होंने धर्म का पक्ष लेकर भगवान राम का साथ दिया, को भी चिरंजीवी माना जाता है।

6. कृपाचार्य
महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ने वाले योद्धा कृपाचार्य को अमरता का वरदान प्राप्त है।

7. परशुराम
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम भी चिरंजीवी माने जाते हैं। कहा जाता है कि वे कलियुग में भगवान विष्णु के अगले अवतार कल्कि के गुरु होंगे।

8. ऋषि मार्कण्डेय
भगवान शिव और विष्णु के भक्त ऋषि मार्कण्डेय को चिरंजीवी का वरदान मिला था। वे अपने तप और भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं।

धार्मिक मान्यता और महत्व
चिरंजीवी हिंदू धर्म की उन अमर आत्माओं का प्रतीक हैं, जो युगों-युगों तक मानवता की सेवा और धर्म की स्थापना के लिए धरती पर उपस्थित रहते हैं। ये व्यक्तित्व हमें धर्म, भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं. khabre junction इसकी पुष्टि नहीं करता.

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