वक्फ बिल का विरोध करते करते सेक्युलर नेताओं को श्रीराम याद आए, बिहार विधानसभा चुनाव आते ही फिर संविधान खतरे में

सेक्युलर नेताओं में हिन्दू होने का कॉन्फिडेंस जागा

  • राजीव श्रीवास्तव

देश के तथाकथित अल्पसंख्यकों को खुश कर वोट लेने के लिए श्रीराम के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगाकर अदालत में चुनोती देने वाले देश की तमाम पार्टियों के सेक्युलर नेता राम मंदिर निर्माण की जगह अस्पताल या कॉलेज खोलने की पुरजोर मांग कर रहे थे।तर्क था कि मन्दिर से कौनसा रोजगार मिलेगा।समय बड़ा बलवान होता है।सत्ता से काफी समय से दूर रहने के कारण आज इन्हीं सेक्युलर नेताओं को श्रीराम का अस्तित्व नजर आने लगा है।राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराने वाले सेक्युलर नेताओं की राम के प्रति आस्था जागना यूं ही नहीं बल्कि पीएम मोदी के लगातार जीतने की असल वजह है।हालांकि इफ्तार पार्टी में नजर आने वाले सेक्युलर नेता इस बार इफ्तार पार्टी में नजर नहीं आए।एक जाति विशेष की उप जाति के लोगों के जेहन में हिन्दू विरोधी नफरत परोसने के बाद बहुसंख्यक वर्ग से दूर करने का प्रयास किया।नफरत की राजनीति कर उस जाति विशेष के लोगों की हिन्दू देवी देवताओं से दूरी बना दी और वो अपने आप को हिन्दू कहने से कतराने लगे।देवी देवताओं की तस्वीरों पर चप्पल मारने ,थूकने तक की निंदनीय हरकत कराई गई। जबकि सच्चाई यह है कि वह वर्ग हिन्दू था,है और रहेगा,इसमें दो रॉय नहीं है।किसी को स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता ही नहीं है।यह देश सभी जाति धर्म के साथ ही है। वर्तमान में सेक्युलर नेता राम,सबरी और केवट के पात्रों को जोड़ भुनाने का प्रयास कर रहे है।लेकिन इन पत्रों का आज से नहीं बल्कि हजारों साल से उल्लेख है।ये वही संविधान की दुहाई देने वाले सेक्युलर नेता है जो अपने पक्ष में फैसला आने पर संविधान की दुहाई देते है। उसके पलट निर्णय आने पर जजों को पीएम मोदी सरकार के इशारे पर निर्णय देने का आरोप लगाकर देश में बबाल करवा देते है। ऐसा लगता है कि भारत में ही संविधान है,बाकी देश बिना संविधान के ही व्यवस्थित तरीके से चल रहे है।2004 के बाद से सिर्फ भारत में ही संविधान को लेकर आंदोलन होते रहते है। वर्तमान में सोशल मीडिया हावी है।यूजर तुरंत दूध का दूध पानी का पानी कर लेते है। वक्फ बिल में संसोधन होने से भविष्य में देश के अल्पसंख्यक वर्ग भी बीजेपी के वोटबैंक से अवश्य जुड़ेगा। बहरहाल इक्कीसवीं सदी में देश की जनता को जाति धर्म के बंधन से मुक्त होकर देश हित में निर्णय लेने की आवश्यकता है।

 

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