नई दिल्ली। यह बात सन 1959 की है जब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया था। उस समय वहां कई बौद्ध भिक्षुओं को पकड़कर जेल में डाल दिया गया था। लेकिन वहां के एक बौद्ध हाम्पा साधु ने जो हम्पा रक्षक साधु थे कुछ गुप्त चरों के सहयोग से एक छोटी सी भगवान विष्णु जी की मूर्ति को अमेरिका के एक गुप्तचर संस्था में भिजवा दिया था।
बता दें कि मूर्ति की लंबाई 5.3 सेंटीमीटर और चौड़ाई 4.7 सेंटीमीटर है। इस मूर्ति का नाम कल्प विग्रह है या फिर यह कहे कि इसका नामकरण कल्प विग्रह नाम से किया गया है। सीआईए ने जब इस मूर्ति को कार्बन डेटिंग हेतु कैलिफोर्निया विकिरण प्रयोगशाला में भेजा, तब वहां पर इन्हें जो बात पता चली उससे सभी अवाक रह गए। इस मूर्ति की आयु 28450 वर्ष पुरानी है।
ऐसा माना जाता है कि कितने वर्ष पहले न तो कोई भाषा थी, ना तो कोई तकनीक थी, ना ही किसी को धातु का विशेष ज्ञान था, तो यह कैसे संभव है कि किसी ने कांसे की श्री मूर्ति बनाई होगी?
इस मूर्ति के भीतर कुछ धातुओं को ऐसे सटीक मात्रा में मिलाया गया है, जिसके कारण यदि आप ताम्र जल पात्र में कुछ देर तक इसे रख दें तो जल भी अवशोषित हो जाता है और आपको आयुष देता है।
यह है हमारा सनातन धर्म जो सबसे पुराना है।