राजकीय राजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुर में अंबेडकर जयंती पर वेबीनार का आयोजन

संविधान और समावेशी लोकतंत्र पर हुई सारगर्भित चर्चा

रामपुर: स्वतंत्रता के अमृत काल के अंतर्गत “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” टैगलाइन के तहत पूरे प्रदेश में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राजकीय राजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामपुर के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या के आशीर्वचन से
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. जागृति मदान ढींगरा के आशीर्वचनों से हुई। उन्होंने अंबेडकर जी के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कहते हुए छात्रों को उनके संघर्षों को जीवन में अपनाने का संदेश दिया।

मुख्य वक्ता डॉ. अजय विक्रम सिंह का उद्बोधन
वेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ. अजय विक्रम सिंह (डिप्टी एसपी, आजमगढ़) ने “डॉ. भीमराव अंबेडकर और भारतीय संविधान” विषय पर विचार रखते हुए कहा कि अंबेडकर जी ने जातिगत भेदभाव के अत्यंत घृणित समय में शिक्षा और संविधान के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में क्रांतिकारी कार्य किए। वे न केवल वंचित वर्ग की आवाज बने, बल्कि उन्होंने भारत को एक सफल लोकतंत्र की दिशा में अग्रसर किया।

संविधान को लेकर विशेष वक्तव्य
इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता डॉ. राजेश कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग) ने कहा कि भारत का संविधान चाहे जहां से प्रेरित हो, हमें गर्व होना चाहिए कि हमने विश्व के श्रेष्ठ विचारों को अपनाकर एक प्रभावशाली लोकतंत्र की नींव रखी। डॉ. अंबेडकर ने पश्चिमी देशों में देखी गई समानता को भारत में लागू करने का प्रयास संविधान और कानून के माध्यम से किया।

संविधान और शिक्षा का महत्व
डॉ. जागृति मदान ढींगरा ने छात्रों को डॉ. अंबेडकर के अनुभवों से प्रेरणा लेने और जीवन में संघर्ष के माध्यम से सफलता प्राप्त करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का जीवन संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।

सफल संचालन और सहभागिता
कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के प्रभारी मोहम्मद नासिर ने किया, जबकि तकनीकी सहयोग डॉ. कैश मियां द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

यह वेबीनार न केवल अंबेडकर जी के विचारों को समझने का अवसर बना, बल्कि संविधान की भूमिका और लोकतंत्र के महत्व पर गहन विचार विमर्श का मंच भी साबित हुआ।

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