अखिल भारतीय मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार द्वारा वक़्फ़ अधिनियमों में किए गए परिवर्तनों का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। उन्होंने कहा कि पहले मुसलमानों को यह भ्रम था कि वक़्फ़ बोर्ड और सरकार एक ही संस्थान हैं, लेकिन जब इस पर चर्चा हुई, तो समाज को यह ज्ञान हुआ कि दोनों अलग-अलग संस्थाएं हैं।
फरहत अली खान ने कहा कि यह पूरी तरह सही है कि वक़्फ़ संपत्तियां, जो मज़ार, मस्जिद, मदरसों और गरीबों के लिए थीं, उनका लाभ अक्सर अमीर लोग उठा रहे थे। वर्तमान में देखा गया है कि वक़्फ़ संपत्तियों को महंगे दामों पर बेचा जा रहा है और उन्हें रजिस्ट्री के नाम पर बहुत कम किराए पर दे दिया जाता है। इस पैसे का बंदरबांट वक़्फ़ बोर्ड और निचले अधिकारियों तक पहुंचता है, जिससे वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा और देखभाल में बड़ी चूक होती है।
उन्होंने कहा कि यदि माननीय सर्वोच्च न्यायालय और सरकार यह कानून राज्यसभा में पारित कर देती है, तो इससे वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा और बेहतर तरीके से की जा सकेगी, और सरकार द्वारा इस पहल का समर्थन किया जाएगा।
फरहत अली खान ने मुसलमानों से अपील की कि जहां वक़्फ़ बोर्ड में अमेंडमेंट हो रहा है, वहीं वक़्फ़ वोट में भी बदलाव करें। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति मुसलमानों को भ्रमित करते हैं और उनका इस्तेमाल कर सड़कों पर ला खड़ा करते हैं, लेकिन बाद में कोई मदद नहीं करते। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मुसलमान सोच-समझकर अपने वक़्फ़ वोट को सही दिशा में बदलें और सरकार के फैसलों का समर्थन करें, ताकि समाज का भला हो सके।