चिन्मय कृष्णन दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हिंसा और भारत की प्रतिक्रिया

 

हाल ही में बांग्लादेश में इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्णन दास की गिरफ्तारी के बाद हिंसा भड़क गई है। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। उनकी गिरफ्तारी के बाद हिंदू समाज के लोग सड़कों पर उतर आए और उनकी रिहाई की मांग की। इस दौरान विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिससे 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

क्या था मामला?

चिन्मय कृष्णन दास पर आरोप था कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। इस आरोप के आधार पर उन्हें ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह गिरफ्तारी बिना किसी ठोस प्रमाण के की गई है, और इसे हिंदू समुदाय के खिलाफ एक उत्पीड़न के रूप में देखा जा रहा है।

 

 

 

 

 

कोर्ट से झटका

चिन्मय कृष्णन दास को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया और जेल प्रशासन को यह निर्देश दिया कि वे उनके धार्मिक कार्यों में कोई रुकावट न डालें और उनकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखें।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने इस मामले में अपनी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। भारत ने कहा कि चिन्मय कृष्णन दास की गिरफ्तारी और जमानत याचिका के खारिज होने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेश सरकार से इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग की है।

विरोध प्रदर्शन और हिंसा

हिंसा में बढ़ोतरी के कारण बांग्लादेश में स्थिति गंभीर हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने हिंदू विरोधी और राजनैतिक संगठनों के खिलाफ नारे लगाए। इसके परिणामस्वरूप पुलिस और सुरक्षा बलों को स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। हालांकि, हिंसा के बावजूद बांग्लादेश सरकार ने मामले की जांच जारी रखने की घोषणा की है।

इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और उनके धार्मिक अधिकारों को लेकर सवाल खड़े किए हैं, और भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

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