अमृतसर। 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपने घर और परिवार को खो चुके पीड़ित आज भी न्याय की आस लगाए बैठे हैं। बलबीर कौर, जिनका परिवार इस भयावह घटना का शिकार हुआ था, अपने पति की टूटी यादों के साथ जिंदगी बिता रही हैं। 25 फरवरी को कोर्ट 1984 के दंगों के आरोपी सज्जन कुमार को सजा सुनाने वाली है, और पीड़ित परिवार इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
बलबीर कौर की दर्दनाक कहानी
1984 में जब दिल्ली जल रही थी, तब बलबीर कौर अपने पति सुरजीत सिंह के साथ घर में बैठी थीं। अचानक कुछ दंगाई उनके घर में घुस आए, उनके पति के साथ बेरहमी से मारपीट की और उनकी टांगें तोड़ दीं। इसके बाद उनका घर आग के हवाले कर दिया गया। इस कठिन समय में कुछ भले लोगों ने उनकी मदद की और उन्हें गुरुद्वारे में शरण दिलाई।
करीब 28 दिन तक गुरुद्वारे में रहने के बाद वे पंजाब चले गए, लेकिन जिंदगी की मुश्किलें खत्म नहीं हुईं। आज बलबीर कौर लोगों के घरों में काम कर अपना गुजारा करने को मजबूर हैं।
समाजसेवी कर रहे मदद
बलबीर कौर की स्थिति को देखते हुए समाजसेवी सोनू जंडियाला वर्षों से उनकी सहायता कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस परिवार को लगातार राशन और अन्य जरूरत की चीजें उपलब्ध करा रहे हैं। सोनू जंडियाला ने मांग की है कि उन दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, जिन्होंने इस परिवार को इस हालत में पहुंचाया।
इंसाफ की उम्मीद
आज, बलबीर कौर और हजारों अन्य पीड़ित परिवार कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सज्जन कुमार और अन्य दोषियों को उनके अपराधों की कठोर सजा मिले, ताकि ऐसा दर्द फिर किसी को सहना न पड़े।