बिल्सी: तहसील क्षेत्र के एक तीर्थ गुधनी में स्थित आर्य समाज के तत्वाधान में बाल्मीकि जयंती मनाई गई , तथा वाल्मीकि ऋषि को याद किया गया । इस अवसर पर वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने कहा वाल्मीकि ऋषि वह महामानव थे जिन्होंने अनुष्टप छंद में संपूर्ण रामायण लिखी । श्री राम का पावन चरित्र आज सारा संसार गा रहा है इसका श्रेय वाल्मीकि ऋषि को ही जाता है । वाल्मीकि ऋषि को रामायण लिखने की प्रेरणा एक घटना से मिली एक बार एक क्रौच क्रौंची पक्षी आपस में रमण कर रहे थे तभी एक बहेलिया ने पक्षी को तीर मारा जो क्रौंच पक्षी को लगा और उसने तड़प तड़प करके अपने प्राण छोड़ दिए , यह देखकर के उसकी पत्नी क्रौंची बुरी तरह घबरा गई और रुदन करने लगी । थोड़ी देर तक वह क्रॉस से लिपटी रही और फिर अपने प्राण उसने छोड़ दिए । यह दृश्य वाल्मीकि ऋषि देख रहे थे तभी उनके मुख से बहेलिए के लिए एक श्राप निकला जो संस्कृत में बोला गया एक अनुष्टुप छंद था ! बस तभी उनके मन में आया कि इसी छंद में मैं श्री राम का चरित्र लिखूंगा और संपूर्ण रामायण विश्व को प्राप्त हुई ! श्री राम का चरित्र पावन है ! सभी को बाल्मीकि रामायण का अध्ययन करना चाहिएइस अवसर पर सुखबीर , प्रिंस , गणेश , मोहित कुमार आदि मौजूद रहे !