चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) के कैम्प पर हिमस्खलन के कारण फंसे 55 श्रमिकों में से 14 और श्रमिकों को शनिवार, 1 मार्च 2025 को बर्फ में से निकाल लिया गया है। हालांकि, अभी भी 8 श्रमिक फंसे हुए हैं। यह जानकारी जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन. के. जोशी ने दी।
चालू मौसम में अभियान में सुधार
शुक्रवार को बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य में रुकावट आई थी, जिसके कारण अभियान को रात के समय के लिए रोक दिया गया था। शनिवार को मौसम साफ होने के बाद हेलीकॉप्टरों ने अभियान में सहायता प्रदान की।
बचाव कार्य में सेना और ITBP का सहयोग
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन. के. जोशी ने बताया कि माणा में तैनात भारतीय सेना और भारतीय-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों ने सुबह बचाव कार्य फिर से शुरू किया। इस दौरान 14 और श्रमिकों को बर्फ से निकाला गया। बचाव दल बाकी 8 श्रमिकों की तलाश में हैं जो 24 घंटे से अधिक समय से फंसे हुए हैं।
गंभीर स्थिति में श्रमिकों का इलाज
गुरुवार को बचाए गए तीन श्रमिकों की हालत गंभीर थी और उन्हें माणा स्थित ITBP अस्पताल से हेलीकॉप्टर के माध्यम से जोतिरमठ सेना अस्पताल में भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने इस जानकारी की पुष्टि की।
मुख्यमंत्री का संभावित दौरा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के माणा में हिमस्खलन स्थल का दौरा करने की संभावना जताई जा रही है।
फंसे हुए श्रमिकों की सूची
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी सूची के अनुसार, फंसे हुए श्रमिक बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, और जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों के हैं। इस सूची में 10 श्रमिकों के नाम दिए गए हैं, लेकिन उनके राज्य का उल्लेख नहीं किया गया है।
बचाव कार्य में लगे कर्मचारी
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने शुक्रवार को कहा था कि बचाव कार्य में 65 से अधिक कर्मी लगे हुए हैं। माणा, जो बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, भारत-तिब्बत सीमा पर अंतिम गांव है और इसकी ऊंचाई 3,200 मीटर है।