अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस्पात और अल्यूमिनियम पर भारी शुल्क लगाने का किया ऐलान, वैश्विक व्यापार पर असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे इस्पात और अल्यूमिनियम के आयात पर भारी शुल्क लगाने की योजना बना रहे हैं। उनके अनुसार, अमेरिका में आयात होने वाले किसी भी इस्पात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगेगा, जबकि अल्यूमिनियम पर भी इसी तरह के व्यापार दंड लागू किए जाएंगे। ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक व्यापार बाजार में हलचल मचा दी है, विशेष रूप से उन देशों में जो अमेरिका को बड़ी मात्रा में इस्पात और अल्यूमिनियम निर्यात करते हैं।

‘पारस्परिक शुल्क’ की रणनीति
ट्रंप ने व्यापार नीति में ‘पारस्परिक शुल्क’ (Reciprocal Tariff) लागू करने का भी इशारा किया है। इस नीति के तहत, अमेरिका उन उत्पादों पर आयात शुल्क लगाएगा, जिन पर अन्य देश अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगा रहे हैं। ट्रंप ने कहा, “यदि कोई देश हम पर 130 प्रतिशत शुल्क लगाता है और हम उस पर कोई शुल्क नहीं लगाते, तो अब ऐसा नहीं होगा।” यह बयान स्पष्ट करता है कि ट्रंप अमेरिका की व्यापार नीतियों को और कठोर बनाने के पक्ष में हैं।

क्यों अहम है यह फैसला?
ट्रंप का यह प्रस्ताव सिर्फ अमेरिका पर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार पर भी बड़ा असर डाल सकता है। अमेरिका इस्पात और अल्यूमिनियम का बड़ा आयातक है, और इस कदम से कनाडा, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, जापान, और यूरोपीय देशों को भारी नुकसान हो सकता है। यह कदम अमेरिकी उद्योगों को संरक्षण देने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इससे वैश्विक व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।

दक्षिण कोरिया की प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस ऐलान के बाद दक्षिण कोरिया में हलचल मच गई। दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति चोई सांग-मोक ने अपने शीर्ष विदेश नीति और व्यापार अधिकारियों के साथ आपात बैठक बुलाई। दक्षिण कोरिया ने 2024 में जनवरी से नवंबर तक अमेरिका को करीब 4.8 अरब डॉलर का इस्पात निर्यात किया, जो उसके कुल वैश्विक इस्पात निर्यात का 14 प्रतिशत था। यदि ट्रंप का यह प्रस्ताव लागू होता है, तो दक्षिण कोरिया को अपने व्यापारिक नीतियों में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।

ट्रंप का उद्देश्य और संभावित असर
ट्रंप का कहना है कि यह निर्णय अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और अमेरिकी उद्योगों को मजबूत करने के लिए लिया गया है। इसके अलावा, वे इसे अमेरिका की आव्रजन नीति और अन्य मुद्दों पर सौदेबाजी के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिका के व्यापारिक साझेदार नाराज हो सकते हैं, जिससे जवाबी शुल्क लगाए जाने की संभावना बढ़ सकती है।

क्या होगा आगे?
यदि ट्रंप के प्रस्ताव लागू होते हैं, तो वैश्विक व्यापारिक संबंधों में नया तनाव देखने को मिलेगा। अमेरिका के सहयोगी देश इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हैं, और कुछ देश बदले में अमेरिकी उत्पादों पर नए शुल्क लगाने पर विचार कर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस फैसले का अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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