मॉल स्ट्रीट 76 में निर्बाध अवैध निर्माण, कानून के दोगलेपन जीता जगाता का साक्ष्य?

गरीब, मजदूर व किसान को मुर्ख बनाने वाली कहावत मात्र है, कानून सबके लिए बराबर है?

डा0वी0के0सिंह (वरिष्ठ पत्रकार)

निर्बाध रात दिन चल रहे स्ट्रीट – 76 मॉल का निर्माण कार्य, नोएडा के मजदूर, किसान व गरीब वर्ग को समझाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है कि, भले ही संवैधानिक तौर पर कानून सभी के लिए एक समान हो किन्तु, यथार्थ के धरातल पर, इस बात को न तो, उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारी मानते हैँ और, न ही राजनीति एवं प्रशासनिक अधिकारियों में हस्तक्षेप व पहुँच रखने वाले, स्ट्रीट 76, मॉल जैसे बिल्डर मानते हैँ.

विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी एवं ठोस साक्ष्य से ज्ञात है कि, राजस्व ग्राम सोरखा जाहिदाबाद के खसरा संख्या 18 में स्ट्रीट 76 मॉल पर अवैधानिक रूप से बिना किसी अधिकृत नक्सा के निर्माण कार्य निर्बाध रात दिन चल रहा चूँकि, स्ट्रीट 76 मॉल का मालिक धन बल, बहुबल, ज्ञानबल तथा राजनीतिक व सामाजिक दृष्टिकोण से सशक्त, भला क्या मजाल जो, नोएडा विकास प्राधिकरण स्ट्रीट 76 का निर्माण कार्य रोक सके, इसका अर्थ यह भी नहीं है कि, विकास प्राधिकरण के अधिकारी कुछ करते नहीं हैँ, बिलकुल करते हैँ, क्या मजाल नोएडा विकास प्राधिकरण के किसी भी वर्क सर्किल में, बिना अधिकृत अनुज्ञप्ति के चाय की दुकान खोलकर, एक चाय भी बेंच ले. फिर चाहें स्ट्रीट साइड वेंडर एक्ट 2014, धारा 12 कुछ भी कहे, किन्तु, प्राधिकरण के वरिष्ठ एवं कनिष्क अधिकारियों एवं कर्मचारियों का कोई एक बाल भी नहीं उखाड़ सकता है.

दिमाग में गोबर भरा क्या है?
मजे की बात है कि, राजनीति के धुरंधर जो न तो राज्य की परिभाषा जानते हैँ, और न ही राज्य की व्याख्या कर सकते हैँ, वोट बैंक के वशीभूत, राज्य के भोले भाले, आम आदमी अर्थात गरीब, मजदूर व किसान के दिमांग में संविधान का वायरस पेवस्त कर, अपना उल्लू सीधा करते हैँ, भले ही संवैधानिक दृष्टिकोण से कानून सबके लिए बराबर हैँ, और हर गरीब, मजदूर व किसान वर्ग ये समझता है कि, शासन व प्रशासन में संवैधानिक पदों पर आसीन विधायिका से बराबरी के अधिकार ले लेंगें तो, यह आम मजदूर व किसान वर्ग की भूल है, भ्रम है. भला कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली? जब कोई बिल्डर अनैतिक कार्य करता है तो, वह प्राधिकरण के उच्च पदों पर आसीन अधिकारी वर्ग को करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाते हैँ, जबकि आम आदमी संविधान का ढ़ोल पीटकर, सरकारी अधिकारी व कर्मचारी से अधिकार मांगने का दु:साहस करता है.

विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुआ है कि, स्ट्रीट 76 मॉल में निर्बाध निर्माण कार्य हेतु, नोएडा विकास प्राधिकारण के कुछ उच्च अधिकारियों को 5 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ाया गया है, अब कुछ पढ़े लिखें वर्ग इसे रिश्वत समझते होंगें जबकि, वास्तव में लेन देन तो शिष्टाचार का ही अभिन्न अंग है. आखिर करोड़ों खर्च करके ही करोड़ों कमाए जा सकते हैँ.
बहराल, सम्पूर्ण समाचार सूत्रों से प्राप्त जानकारी एवं प्राप्त साक्ष्य पर आधारित है, प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी बिल्डर के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए बाध्य नहीं है.

रिश्वत, सिफारिस और खुशामद तीन जग के नाथ हैँ, संसार का तो पता नहीं, हमारे देश में भाग्यशाली भी वही है ये तीनो जिसके साथ हैँ.

जय बिल्डर, जय प्राधिकारण में पदस्थ पदाधिकारी.

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