आज देशभर में विश्वकर्मा दिवस बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। मजदूर वर्ग और कारीगरों में विशेष उत्साह है, क्योंकि इस दिन वे अपने आराध्य बाबा विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं और अपने औजारों की सफाई व पूजन करते हैं। बाबा विश्वकर्मा को श्रम का प्रतीक और सभी कारीगरों का गुरु माना जाता है, जिन्होंने शारीरिक श्रम के महत्व और सृजन के कार्य में निष्ठा का संदेश दिया था।
देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे व्यवसायियों से लेकर बड़े इंजीनियरिंग और निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों तक, हर कोई अपने काम की शुरुआत बाबा विश्वकर्मा जी की पूजा से करता है। चाहे वह लोहार हो, बढ़ई हो, इंजीनियर हो या जहाज निर्माण में लगे श्रमिक हों—सभी अपने औजारों की सफाई कर उन्हें बाबा के चरणों में अर्पित करते हैं। इस पूजा का उद्देश्य है बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करना और आने वाले समय में अपने कार्य में सफलता और संतुष्टि की प्राप्ति करना।
मजदूरों का मानना है कि बाबा विश्वकर्मा जी के आशीर्वाद से उनके काम में सकारात्मकता आती है और उनकी मेहनत का फल मिलता है। उनके सम्मान में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे आने वाली पीढ़ी भी श्रम के महत्व को समझे और सृजन के कार्य को सम्मान दे। श्रम की महत्ता को स्वीकारते हुए विश्वकर्मा दिवस न केवल भारत में, बल्कि कई देशों में भी उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है।