पीलीभीत। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जिले में हाल ही में पंडरी गांव में एक से ज्यादा बाघों का खौफ नजर आ रहा था। अब पंडरी गांव के साथ-साथ जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बाघों के होने की खबरें सामने आ रही हैं।बाघों की मौजूदगी से सबसे ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिला कृषि उत्पादन में अधिक योगदान देने वाले प्रमुख जिलों में से एक है।जिले में मुख्य तौर पर धान और गन्ने की खेती होती है,लेकिन जिले में कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां हर साल फसलों की कटाई प्रभावित होती है।इस रुकावट के पीछे का कारण कोई प्राकृतिक आपदा या इंसान नहीं बल्कि वन्यजीव हैं।जिले में टाइगर रिजर्व से सटे कई क्षेत्रों में बाघ डेरा जमाए रहते हैं।बाघ गन्ने और धान की फसलों में छिपते हैं।ऐसे में फसलों की कटाई के दौरान मानव और वन्यजीव में संघर्ष की हालत हो जाती है।
बीते तकरीबन 2 महीनों में पंडरी गांव में बाघों की मौजूदगी देखी जा रही थी।19 फरवरी को बाघ के हमले में एक युवक की जान भी चली गई। इसके बाद से ही पंडरी गांव में बाघों के खौफ से किसान खेत पर जाने से कतराने लगे थे।बीते गुरुवार पंडरी गांव से कुछ दूरी पर हरकिशनापुर गांव में एक युवक पर बाघ हमलावर हो गया। बाघ के हमले में युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था।
शुक्रवार शाम कलीनगर क्षेत्र के मथना जब्ती गांव में भी बाघ की चहलकदमी देखी गई। ये सभी क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि प्रधान हैं।एक तरफ जहां गन्ने की कटाई चल रही है तो वहीं दूसरी ओर फसल काट चुके लोग दूसरी फसल की तैयारी में जुट गए हैं।सरसों की फसल भी पक कर तैयार हो गई है, लेकिन बाघ के खौफ से ये सभी कृषि कार्य प्रभावित हो रहे हैं।