खानकाह अहमद येह के 164वें उर्स के तीन दिवसीय समारोह की शुरुआत

रामपुर। 19 नवम्बर को ज़ाहिर और बातिन की इस्लाह करने वाली और जिस्म और रूह को खुदा के ज़िक्र से मुनाववर करने वाली खानकाहों का मुक़ाम इस्लामी मुआशरे मे बहुत अहम् है क्योंकि यहीं से आपसी भाईचारे का संदेश जाता है। अच्छे संस्कारों का उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है तथा धर्म और जाति के भेदभाव के बिना दया और करुणा की भावना यहां पाई जाती है और इसकी शिक्षा दी जाती है तथा इसका उपदेश दिया जाता है। इन ही खूबियों की इशात के पेशे नज़र खानकाह अहमदया कादरिया रामपुर ने 1991 मे तसववुफ सेमीनार के सिलसिलो का आग़ाज़ किया था, बाहमदोलिल्लाह यह सिलसिला अब तक जारी है।

हज़रत किबला सैयदना शाह अहमद अली खान साहब क़ादरी मुज्जदीदी रहमतुल्लाहि अलैहि 164 और हज़रत किबला खतीब आज़म मौलाना शाह वजीहुद्दीन अहमद खान साहब क़ादरी मुज्जद्दी रहमतुल्लाह अलैह के 38 वे तीन दिवसीय जलसे का दिन आज बरोज़ इतवार 19.11. 2023 को खानकाह अहमदया क़ादरिया अंदरूने मदरसा जामे उल उलूम फुरक़ानिया बाजार मिस्टन गंज रामपुर में सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक राष्ट्रीय सूफीवाद सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार की शुरुआत कारी फरहत सुल्तान खान की तिलावत कुरान से हुई। बाद में मौलवी मुहम्मद समी फुरकानी ने हजरत खतीब आजम की नात शरीफ पेश कर वाहवाही लूटी। प्रोग्राम कनवीनर एवं खानकाह का परिचय देने वाले डॉ. शायरुल्लाह खान वजीही ने बताया कि 1774 में रामपुर की स्थापना के दौरान सुल्तान औलिया हाफिज शाह जमालुल्लाह साहब कादरी नक्शबंदी रामपुर आए और उन्होंने सूफ़ी तालीमात का प्रसार किया। रोहिल खंड की बड़ी आबादी. उनके बाद उनके खलीफा शाह इमामुद्दीन खान अनवर ने अपने खलीफा खास शाह अहमद अली साहिब अहमद को प्रशिक्षण दिया, जिसके परिणामस्वरूप 1839 में खानकाह अहमदया अस्तित्व में आया। उसके बाद शाह खान मुहम्मद खान आजिज़ और मौलाना वज़ीर मुहम्मद खान वज़ीर रूहानी फयूज़ ओ बरकात लुटाये । अंततः 1950 में हजरत मौलाना वाजिह उद्दीन अहमद खान कादरी मुजदददी ने इसी खानकाह मे मदरसा फुरकानिया क़ायम , जो आज शुमाली हिन्दोस्तान का सबसे बफैज़ मरकज़ इल्म व फन है । इसके बाद मौलवी मुहम्मद फैजी खान फुरकानी ने रामपुर के ऐतिहासिक नगर बिलासपुर में विश्राम करने वाले संत सैयद शादी मियां हब्शी की परिस्थितियों और उपलब्धियों पर आधारित एक मक़ाला प्रस्तुत किया। इसके बाद मौलवी मुहम्मद तस्नीफ हुसैन खां फुरकानी ने हजरत शाह गुलाम जिलानी कादरी बिलासपुरी की ऐतिहासिक घटनाओं और उपलब्धियों पर बेहतरीन तरीके से रोशनी डाली। इसके बाद रामपुर की प्रमुख सामाजिक हस्ती श्री रमेश कुमार जैन ने खानकाह अहमदया और मदरसे से सम्बंध में देश प्रेम और ईमानदारी पर भाषण दिया और मदरसा फुरकानीया के प्रमुख छात्र मौलवी मुहम्मद आरिफ फुरकानी दियानत दारी पर शाल पहनाकर उनकी हौसला अफ़ज़ाई की।

उसके बाद मुफ्ती फहीम अहमद सकलिनी अज़हरी ने ने बीसवीं सदी के मशहूर तज़किरत अल-अवलिया यानी मसालिक अल-सालकीन के लेखक अब्दुल सत्तार बेग की तीन जिल्दों का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। बरेली जिले के बिरवी कस्बे के शाह जी एकेडमी के चेयरमैन मौलाना हाफिज अनवर अहमद कादरी ने मौजूदा हालात में सूफी शिक्षा के महत्व पर बेहतरीन मक़ाला पेश किया. उसके बाद, मौलाना मुफ़्ती मआरिफ़ अल्लाह खान वाजिबी ने उस समय के शासकों के सुधार और प्रशिक्षण में सूफियों की सेवाओं पर प्रकाश डाला। बाद मे
प्रोफेसर डॉ. रज्जाक खान ने यूरोप में सूफीवाद की शिक्षाओं के महत्व पर एक उत्कृष्ट भाषण दिया।

सेमिनार के अंत में हजरत खतीब आजम की नई रचना “हजरत गोस आजम और हजरत ख्वाजा अजमेरी और प्रोफेसर रज्जाक खान की अंग्रेजी पुस्तक एनालिटिकल स्टडी ऑफ रामपुर ऑफ द ड्रीम पीरियड का प्रकाशन माइनॉरिटी पास्ट्स के नाम से किया गया। काजी शहर सैयद खुशनूद मियां साहब चिश्ती निज़ामी की दुआ के साथ सेमिनार ख़त्म हुआ

इसमें समस्त स्टाफ, प्रशासक व विद्यार्थियों के अलावा शहर के प्रमुख बुजुर्ग भी शामिल हुए।

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