रामपुर: भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (रजि०) के राष्ट्रीय और उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश व्यापी कार्यक्रम के तहत रामपुर में सांसद मोहिबुल्ला नदवी से फोन पर बात करने के बाद उनके प्रतिनिधि अरशद अली पाशा को ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में शैलेन्द्र शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग में विनियामक निरीक्षण की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव के कारण छोटे और मझोले व्यापारियों, एमएसएमई और उपभोक्ताओं को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इन कंपनियों द्वारा की जा रही अनैतिक प्रथाओं से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो रही है, जिससे व्यापार और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है।
शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना तभी साकार हो सकती है जब स्थानीय व्यापार और उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के अनियंत्रित गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। जिसके मुख्य कारण निम्न है-
1. ई. कॉमर्स प्लेटफार्म पर विक्रेताओं का अनिवार्य केवाईसी किया जाना चाहिए। केवाईसी पारदर्शिता बढाएगा, वैध एमएसएमई की रक्षा करेगा और कर नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
2. अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी बडी ई. कॉमर्स दिग्गज कंपनियों ने लगातार भारी वित्तीय घाटे की सूचना दी है उच्च बिक्री मात्रा के बावजूद यह नुकसान इस बात का प्रत्यक्ष परिणाम है कि जहां एमएसएमई और पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं सहित छोटे प्रतिस्पर्धियों को बाहर करने के लिए उत्पादों को अस्थिर दरों पर बेचा जाता है।
3. ई. कॉमर्स प्लेटफार्म को थोक विक्रेताओं के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए। इससे एमएसएमई और छोटे खुदरा विक्रेताओं को नुकसान होता है जो इस तरह की कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते यह सुनिश्चित करने के लिए विनियामक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
4. कई प्लेटफार्म अपनी इन हाउस या सहायक विक्रेता कंपनियों को विशेष रूप से मूल्य निर्धारण और दृश्यता के मामले में तहरीज देते हैं यह प्रतिस्पर्धा को विकृत करता है और स्वतंत्र एमएसएमई विक्रेताओं को नुकसान पहुंचाता है हम सभी विक्रेताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए ऐसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने की सलाह देते हैं।
5. बड़े प्लेटफार्म द्वारा दी जाने वाली कैश बैक और ब्याज मुक्त योजनाएं असमान खेल का मैदान बनती हैं क्योंकि वह ग्राहकों को आकर्षित करती हैं जबकि छोटे एमएसएमई विक्रेता सामान प्रोत्साहन देने का जोखिम नहीं उठा सकते यह प्रथाएं अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है और हम इन योजनाओं पर अंकुश लगाने और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए विनियमन का अनुरोध करते हैं।
6. ई. कॉमर्स कंपनी के डिलीवरी कर्मियों को कर्मचारियों के रूप में माना जाए और यह सुनिक्षित किया जाए कि उन्हें उबित श्रम सुरक्षा और लाभ प्राप्त हो जिससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में श्रमिकों का कल्याण बढ़े।
ई-कॉमर्स विनियमन एक्ट की आवश्यकता पर शैलेन्द्र शर्मा ने जताई चिंता, एमएसएमई और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा की मांग
रामपुर, शैलेन्द्र शर्मा, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (रजि०) के वरिष्ठ नेता ने हाल ही में ई-कॉमर्स उद्योग में आवश्यक विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बेलगाम ई-कॉमर्स प्रथाएं विशेष रूप से व्यापार, एमएसएमई और उपभोक्ताओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं, जिसके लिए तत्काल ध्यान देने और एक विनियामक अधिनियम (रेगुलेटिंग एक्ट) की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यह विनियमन निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा, एकाधिकार और अनैतिक प्रथाओं पर रोक लगाएगा, और एमएसएमई, उपभोक्ताओं तथा खुदरा विक्रेताओं के हितों की रक्षा करेगा। इससे भारत की आर्थिक वृद्धि में उनका निरंतर योगदान सुनिश्चित होगा।
कार्यक्रम में शैलेन्द्र शर्मा के साथ प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जिला महामंत्री शाहिद शम्सी, मीडिया प्रभारी हारिस शम्सी, प्रदीप खंडेलवाल, नजमी खां, उज़ेर शम्सी, इमरान सलीम, शकेव शम्सी, मो. इरफान, फैसल बॉबी, बिलाल शम्सी, शोएब और मोहम्मद खान उपस्थित रहे।