डीपीओ ने अपने कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के परिजनों को ही दे दिया स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ

मामला उजागर होने के बाद शहर विधायक आकाश सक्सेना ने जिलाधिकारी को लिखा पत्र बोले लाभ लेने वाले और देने वाले दोनों के खिलाफ हो एफआईआर

रामपुर। तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी लवकुश भार्गव अब अपने ही कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के पारिवारिक सदस्यों को स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ दिलाने के मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। इसको लेकर शहर विधायक आकाश सक्सेना ने सबूत के साथ जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि नियम विरूद्ध तरीके से लाभ देने और लेने वाले दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
सरकार की ओर से लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही स्पान्सरशिप योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत ऐसे बच्चों को शामिल किया जाता है, जो गरीब, असहाय, निराश्रित हों या जिसके माता-पिता दोनों में से कोई न हो। इसके अलावा अन्य शर्तें भी थीं, जिसके बाद ही लाभार्थियों का चयन होना था। इसके उपरांत लाभार्थी को प्रतिमाह चार हजार रूपये बैंक खाते के माध्यम से सरकार के द्वारा प्राप्त होते हैं। योजना में पहली बार 125 बच्चों को लाभ दिलाने का लक्ष्य मिला था। ऐसे में डीपीओ ने अपने कार्यालय के ही अधीन संचालित राजकीय शिशु सदन में चौकीदार के पद पर तैनात ओम सिंह के पोते कपिल, आउटसोर्सिंग कर्मी निशा की पुत्री शिवानी और निकिता, आउटसोर्सिंग चालक शिवशंकर की पुत्री इंदु और पुत्र अंकित को नियम विरूद्ध तरीके से स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ दिला दिया।
लाभार्थियों का सत्यापन जिला बाल कल्याण संरक्षण इकाई, रामपुर की आंकड़ा विश्लेषक, बाल कल्याण समिति, रामपुर के अध्यक्ष अय्युब हसन, बाल कल्याण समिति, रामपुर की सदस्य अंजुम आरा, रजनी शर्मा ने किया था। जबकि, इन लोगों को यह भलीभांति जानकारी होगी कि ये बच्चे स्टॉफ के हैं। शहर विधायक आकाश सक्सेना ने इस बावत जिलाधिकारी जोगेंद्र सिंह को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से गरीबों की मदद के उददेश्य से योजना का संचालित की थी, लेकिन तत्कालीन डीपीओ ने बच्चों के लिए कल्याणकारी योजना में भी भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में योजना का लाभ लेने वाले और देने वाले दोनों ही दोषी हैं। ऐसे में दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए।

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