नोएडा का वह गांव जहां दशहरे पर नही जलाया गया रावण, जानें क्यों?

अगर रावण दहन किया तो होगी कोई ना कोई अनहोनी

नोएडा। हिंदू धर्म में आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दसवीं तिथि पर दशहरा यानि विजयादशमी का पावन पर्व मनाया जाता है। सनातन परंपरा में यह महापर्व असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि दशहरे के दिन ही भगवान राम ने दशानन रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। भगवान राम की इसी विजय को हिंदू धर्म में विजयादशमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। विजयादशमी के दिन देश भर में रावण के पुतले बनाकर जलाने की परंपरा है।

लेकिन क्या हम आपको एक ऐसी जगह के बारें में जानकारी देने जा रहे है जहां रावण दहन नही किया जाता है। और अगर किया भी तो वहां इसके बाद कुछ ना कुछ अनहोनी हो ही जाती है। जी हां दोस्तो वह जगह है ग्रेटर नोएडा का बिसरख गांव। बिसरख गांव में रावण का पुलता नही जलाया जाता है। क्योंकि यह गांव रावण की जन्मस्थल माना जाता है और इस वजह से यहां रामलीला का मंचन नहीं होता है। साथ ही दशहरा पर रावण दहन भी नहीं किया जाता है। लोगों का मानना है कि रावण दहन करने से अनहोनी हो जाती है।

मान्यता है कि रावण का जन्म बिसरख में हुआ था और यहां शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की रावण के पिता विश्वश्रवा पंडित ने पूजा की थी। उन्हीं के नाम पर बिसरख गांव का नाम पड़ने की भी बात कही जाती है।
वहां के ग्रामीणों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले रावण दहन किया गया था, लेकिन उसे दौरान गांव में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से ग्रामीणों ने रावण दहन करना बंद कर दिया था।
साल-2020 में एक व्यक्ति ने गांव में रावण का पुतला बनाकर फूंक दिया था। उस दौरान विवाद हो गया और फिर इसे बंद कर दिया गया। गांव में रावण का मंदिर बनाया गया और उसमें रावण की मूर्ति स्थापित करने पर भी जमकर विवाद हुआ, लेकिन बाद में मूर्ति स्थापित करा दी गई।
बताया जाता है कि बिसरख गांव का नाम विश्वश्रवा पंडित और रावण के पिता पर पड़ा था। इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसे खुद चंद्रा स्वामी ने यहां आकर खुदवाया था। मगर बताया जाता है कि 100 फुट के बाद भी उसका कोई छोर नहीं मिला।

इन जगहो पर भी भूलकर नहीं जलाते हैं रावण
दशहरे पर जहां देश भर में रावण को जलाने की परंपरा है, वहीं देश के कुछ जगहों पर रावण को जलाने की बजाय उसके मरने का शोक मनाया जाता है। राजस्थान के मंडोर, कर्नाटक के मांडया, उत्तर प्रदेश के बिसरख और कानपुर में तथा मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण को नहीं जलाया जाता है। यहां के लोग रावण की पूजा करते हैं।

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