हैदराबाद: उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिकी निवेशकों के साथ धोखाधड़ी और भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों के बाद से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार अडानी ग्रुप और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमलावर है। इसी बीच, तेलंगाना सरकार ने अडानी ग्रुप से एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने अडानी ग्रुप द्वारा दिए गए 100 करोड़ रुपये के दान को स्वीकार न करने का निर्णय लिया है।
सीएम रेड्डी ने अडानी ग्रुप से डोनेशन लेने से किया मना
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सोमवार को एक मीडिया सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार ‘यंग इंडिया स्किल यूनिवर्सिटी’ के लिए अडानी समूह के 100 करोड़ रुपये का दान स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला इस कारण लिया गया क्योंकि अडानी की दान की घोषणा से राज्य सरकार या मुख्यमंत्री के पक्ष में अनावश्यक चर्चाओं का माहौल बन सकता था।
‘मेरी छवि को नुकसान हो सकता है’
सीएम रेड्डी ने स्पष्ट किया कि तेलंगाना सरकार ने अब तक अडानी ग्रुप सहित किसी भी संस्था से एक भी रुपया स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह और उनके मंत्री ऐसी अनावश्यक चर्चाओं में शामिल नहीं होना चाहते, जो राज्य सरकार या उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए राज्य सरकार की ओर से जयेश रंजन ने अडानी को एक पत्र लिखा, जिसमें दान को स्वीकार न करने की बात कही गई।
तेलंगाना सरकार ने अडानी फाउंडेशन से अपील की
सीएम ने बताया कि पत्र में यह भी कहा गया है कि वर्तमान स्थिति और विवादों के कारण तेलंगाना सरकार अडानी ग्रुप द्वारा दान की गई 100 करोड़ रुपये की राशि को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। इस पत्र में अडानी फाउंडेशन से यह अपील की गई है कि वह विश्वविद्यालय को 100 करोड़ रुपये का दान न हस्तांतरित करें।
राजनीतिक दृष्टिकोण
यह घटनाक्रम अडानी ग्रुप के खिलाफ उठ रहे आरोपों और तेलंगाना सरकार द्वारा अपनी सियासी छवि को बचाने के प्रयासों को दर्शाता है। मुख्यमंत्री रेड्डी का यह कदम यह संकेत देता है कि तेलंगाना सरकार किसी भी तरह के विवाद से बचने और अपनी स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए सजग है।