- रिपोर्ट: मंजय वर्मा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल सरकार की आलोचना करने के आधार पर किसी पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। यह फैसला पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए यूपी पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत पत्रकारों को उनके विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्राप्त है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी को मिला संरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता आवश्यक है, और सरकार की आलोचना को अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने के प्रयासों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यूपी पुलिस को नोटिस जारी
इस मामले में यूपी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं और सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने साफ किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए।
पत्रकारों के लिए राहतभरा फैसला
इस फैसले के बाद पत्रकारों और मीडिया संस्थानों में राहत की लहर है। यह आदेश सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ दायर मुकदमों पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।