- रिपोर्ट: मंजय वर्मा
उत्तर प्रदेश जनपद मीरजापुर जिले में खाद्यान्न की कालाबाजारी के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में जिले के दो अलग-अलग गांवों में हुए खाद्यान्न घोटाले के मामलों में दो कोटेदारों और उनके सहयोगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई पिछले दो दिनों के भीतर की गई है, जो यह दर्शाती है कि प्रशासन इस समस्या को लेकर कितना गंभीर है।हंसरा गांव में 96 कुंटल का घोटाला। मीरजापुर के हंसरा गांव में 96 कुंटल खाद्यान्न की कालाबाजारी का मामला सामने आया है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी कोटेदार विनोद सिंह पर मड़िहान थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार, विनोद सिंह ने सरकारी राशन को अवैध रूप से बेचकर गरीबों के हक को छीना। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, क्योंकि यह राशन जरूरतमंद परिवारों के लिए था। प्रशासन ने जांच के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए विनोद सिंह के खिलाफ कानूनी कदम उठाया।
देवरी उत्तर में 36 कुंटल खाद्यान्न गायब।दूसरी घटना देवरी उत्तर गांव में सामने आई, जहां 36 कुंटल खाद्यान्न के गायब होने का खुलासा हुआ। इस मामले में कोटेदार मीना देवी और उनके सहयोगी कतवारू राम पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच में पाया गया कि मीना देवी ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर खाद्यान्न को कालाबाजारी में बेच दिया। यह घटना भी गरीबों के लिए आवंटित राशन की हेराफेरी का एक गंभीर उदाहरण है। प्रशासन ने इस मामले में भी कड़ी कार्रवाई की है और दोनों आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
प्रशासन का सख्त रुख
इन दोनों घटनाओं के बाद मीरजापुर प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि खाद्यान्न की कालाबाजारी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पिछले दो दिनों में दो कोटेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना इस बात का प्रमाण है कि जिला प्रशासन इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारियों का कहना है कि आगे भी ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे और दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।
निष्कर्ष। मीरजापुर में हुए इन खाद्यान्न घोटालों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गरीबों के लिए आवंटित संसाधनों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। कोटेदारों द्वारा की गई यह हेराफेरी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के साथ अन्याय भी है। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त निगरानी और पारदर्शिता की जरूरत है।