कहानी उस महिला की जिसने पहली बार बीजेपी को दिया था राम मंदिर का प्रस्ताव, यहीं से बदल गई भाजपा की सियासी रणनीति
नई दिल्ली: अयोध्या दुल्हन की तरह सज रही है। देशभर में एक नया उत्साह है। सैकड़ों साल का इंतजार जो खत्म हो रहा है। भगवान राम अपने घर आ रहे हैं। लंबे इंतजार के बाद भगवान राम नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होंगे। पीएम मोदी इस सपने को साकार करेंगे। 1990 से बीजेपी हर बार राम मंदिर को लेकर घोषणा कर करती रही। राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के पितृ पुरुषों का सबसे बड़ा सपना है। इस सपने को उड़ान देने वाले कुछ लोग इसके साक्षी बनेंगे तो कुछ लोग इस दुनिया में नहीं हैं। हम आपको एक ऐसी ही महिला नेता के बारे में बता रहे हैं जिसने पहली बार बीजेपी को राम मंदिर का मुद्दा दिया था। नाम है विजयाराजे सिंधिया।
मध्यप्रदेश में एक जिला है ग्वालियर। ग्वालियर कभी राज्य की बड़ी रियासत हुआ करती थी। इस रियासत की राजमाता थीं विजयराजे सिंधिया। विजयाराजे सिंधिया के वंशज बीजेपी के सदस्य हैं और सक्रिय राजनीति में उनका कद भी बड़ा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया, बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं। राम मंदिर आंदोलन में सबसे अहम भूमिका विजयाराजे सिंधिया की थी। विजयाराजे सिंधिया ही पहली नेता थीं जिन्होंने पहली बार बीजेपी की कार्यसमिति में राम मंदिर का प्रस्ताव रखा था।
विजयाराजे सिंधिया ने रखा था प्रस्ताव
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए लंबे समय तक आंदोलन चला। बीजेपी के पितृ पुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा लेकर निकले थे। 1988 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक हुई थी। इस बैठक में मंदिर निर्माण के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने ही पहली बार प्रस्ताव रखा था।
बाद में यह प्रस्ताव बीजेपी की पहचान बन गया। राजमाता ने ही बीजेपी के लिए रथ यात्रा का आयोजन किया था। राजमाता विजयाराजे सिंधिया रामजन्भूमि आंदोलन का प्रमुख चेहरा थीं। वो राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय रहीं। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में जब सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली तो विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें पूरा सहयोग दिया था।
कांग्रेस से की थी शुरुआत
राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस की थी। इंदिरा गांधी से मतभेद के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ले ली थी। राजमाता जनसंघ में भी सक्रिय रहीं और फिर बीजेपी के गठन में अहम भूमिका निभाई। विजयाराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया केन्द्र में मंत्री रहे। उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। बड़ी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया दो बार राजस्थान के सीएम रहीं। वहीं, छोटी बेटी भी मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहीं।