विश्व के महान गणितज्ञों में से एक थे श्रीनिवास रामानुजन, मात्र 33 वर्ष की आयु में दुनिया को कह दिया था अलविदा
17 साल की उम्र में रामानुजन ने की थी दशमलव के 15 अंको तक एलुयेर कांस्टेंट की वैल्यू खोज
नई दिल्ली। विश्व के महान गणितज्ञों में से एक …अद्भुत और विलक्षण ज्ञान के ज्ञान के धनी श्रीनिवास रामानुजन की आज पुण्यतिथि है।
मात्रा 33 वर्ष की आयु में दुनिया को अदविदा कह गए रामानुजन ने 3884 समीकरण बनाए…जिनमे से कई तो आज भी अनसुलझें है…. गणित में 1729 को रामानुजन नंबर से जाना जाता हैं। श्रीनिवास रामानुजन को “MAN WHO KNEW INFINITY” कहा जाता हैं।
जीवन परिचय
श्रीनिवास रामानुजम का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के कोयंबतूर जिले के इरोड नामक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता नाम श्रीनिवास इयंगर था। इनकी माता का नाम कोमल तम्मल था।
व्यक्तिगत जीवन
22 वर्ष की उम्र में रामानुजन का विवाह उनसे 10 साल छोटी जानकी से हुआ।
रामानुजन की शिक्षा
रामानुजन तीन वर्ष की आयु तक वह बोलना भी नहीं सीख पाए थे। इस कारण पांच वर्ष की उम्र में बालक रामानुजन का दाखिला कुंभकोणम के प्राथमिक विद्यालय में करा दिया गया। बालक रामानुजन की सिर्फ गणित के विषय में रुचि होने के कारण अन्य विषयों को गंभीरता से नहीं पढ़ते थे।
13 साल की अल्पायु में बालक रामानुजन एस.एल. लोनी द्वारा लिखित पुस्तक एडवांस ट्रिगनोमेट्री के मास्टर बन चुके थे। 17 साल की उम्र में इन्होने बर्नोली नम्बरों की जांच की और दशमलव के 15 अंको तक एलुयेर कांस्टेंट की वैल्यू खोज की थी। वे 11 वीं कक्षा में गणित को छोड़कर सभी विषयों में फेल हो गए। 1907 में उन्होंने 12 वीं कक्षा की प्राइवेट परीक्षा दी जिसमे वे फिर से फेल हो गए। इसके बाद उनकी पढ़ाई बन्द हो गई।
गणित में योगदान
वर्ष 1918 में 31 साल की उम्र में गणित के 120 सूत्र लिखे और अपनी शोध को अंग्रेजी प्रोफ़ेसर जी.एच. हार्डी के पास भेजे। अक्टूबर 1918 में रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज की सदस्यता प्रदान की गयी। ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे।
निधन
26 अप्रैल 1920 को मात्र 33 वर्ष की आयु में TB के कारण रामानुजन ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली।