भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत, महंगाई में कमी और उपभोग में वृद्धि की संभावना

नई दिल्ली: भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, और क्रिसिल द्वारा जारी रिपोर्ट में इस सुधार की संभावना को रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है, खासकर इंडस्ट्रियल वृद्धि और महंगाई दर में कमी की संभावना जताई गई है।

महंगाई में कमी और उपभोग में वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य महंगाई में कमी के संकेत मिल रहे हैं, जो उपभोग पर सकारात्मक असर डाल सकती है और इससे अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है। इस साल कृषि उत्पादन बेहतर रहने के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी सुधार की संभावना है। खासकर खरीफ फसल बाजार में आने के बाद खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे महंगाई को नियंत्रित किया जा सकता है।

ब्याज दर और कर्ज वृद्धि पर असर
हालांकि, ऊंची ब्याज दरों का असर शहरी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, जिससे कर्ज वृद्धि में कमी आई है और उपभोग की रिकवरी प्रभावित हुई है। इस संदर्भ में, सरकार द्वारा कम व्यय की उम्मीद जताई गई है, जिससे जीडीपी वृद्धि दर पर असर पड़ सकता है। हालांकि, सरकारी पूंजीगत व्यय में सुधार की संभावना बनी हुई है, जो आने वाले समय में स्थिति को बेहतर बना सकता है।

निर्यात में वृद्धि की संभावना
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वैश्विक व्यापार में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, अमेरिका-चीन टैरिफ वार जैसी वैश्विक अस्थिरताएं आपूर्ति श्रृंखला में दबाव डाल सकती हैं, फिर भी निर्यात में वृद्धि की संभावना बनी हुई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए सकारात्मक संकेत है।

जीडीपी वृद्धि दर में कमी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऊंची ब्याज दरों और राजकोषीय समेकन के कारण वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रह सकती है, जो पिछले साल की तुलना में कम है। हालांकि, सरकारी पूंजीगत व्यय में सुधार से विकास की रफ्तार बनी रह सकती है, लेकिन निजी निवेश के पुनरुद्धार की दिशा में ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।

महंगाई 4.6 प्रतिशत तक सीमित रहने का अनुमान
क्रिसिल ने अनुमान जताया है कि इस वित्त वर्ष में महंगाई दर औसतन 4.6 प्रतिशत रह सकती है। खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आने से महंगाई में और गिरावट देखने को मिल सकती है। इन बदलावों से भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत मिलने की संभावना है, और आने वाले समय में बेहतर वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है।

निष्कर्ष
कुल मिलाकर, रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं, खासकर महंगाई में कमी, उपभोग में वृद्धि, और निर्यात में वृद्धि की संभावनाएं हैं। हालांकि, ब्याज दरों और निजी निवेश के पुनरुद्धार पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होगा, ताकि समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके।

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