शारदीय नवरात्रि 2023: नवरात्रि के चौथे दिन पढ़ें मां कुष्मांडा की यह कथा, सभी रोग और दुखों से मिलेगी मुक्ति

प्राची सिंह
नोएडा। 15 अक्टूबर से नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। और 18 अक्टूबर को नवरात्रि का चौथा दिन है। नवरात्रि के नव दिन मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपो की पूजा होती है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है। मां कुष्मांडा का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। 18अक्टूबर को मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी।

मां कुष्मांडा की कथा
शास्त्रों के अनुसार, जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी, तब इसका कोई अस्तित्व नहीं था. क्योंकि चारों और अंधकार छाया हुआ था. तब मां कुष्मांडा ने अपने मंद मुस्कान से सृष्टि की उत्पत्ति की। इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। मंद हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण ही इनका नाम कुष्मांडा पड़ा।

मां कुष्मांडा के पास इतनी शक्ति है कि, वह सूर्य के भी घेरे में रह सकती हैं। इनका वास सूर्यमंडल के भीतर है। केवल मां कुष्मांडा में ही सूर्यलोक के भीतर रहने की क्षमता है और इन्हीं के तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। कहा जाता है कि इन्हीं के तेज से ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में तेज व्याप्त है.सच्चे मन से देवी कुष्मांडा की पूजा करने पर देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इनकी पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं और यश-आयु में वृद्धि होती है। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी अभिहित किया जाता है। इनके स्वरूप का वर्णन करते हुए शास्त्रों में कहा गया है कि इनकी आठ भुजाएं हैं और ये सिंह पर सवार हैं। मां कूष्मांडा के सात हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, अमृत से भरा हुआ कलश, बाण और कमल का फूल है तथा आठवें हाथ में जपमाला है जो सभी प्रकार की सिद्धियों से युक्त है।
मां दुर्गा के इस कूष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना निम्न मंत्र से करनी चाहिये।

Leave A Reply

Your email address will not be published.