प्रेसिडेंशियल पैलेस में आयोजित कार्यक्रम में कई मंत्री पहुंचे, अल्बानिया के मानद महावाणिज्य दूत दीक्षु कुकरेजा और पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां की हुई प्रशंसा
रामपुर। अल्बानिया की राजधानी तिराना स्थित प्रेसिडेंशियल पैलेस में रामपुर की शाही विरासत का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला। इस भव्य कार्यक्रम में अल्बानिया सरकार के कई मंत्री शामिल हुए और सभी ने पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां और भारत में अल्बानिया के मानद महावाणिज्य दूत दीक्षु कुकरेजा की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
नवेद मियां के पीआरओ काशिफ खां ने बताया कि बुधवार देर रात तक चले इस कार्यक्रम में रामपुर की कला, संस्कृति, फैशन, और शाही दस्तरख्वान के लज़ीज़ व्यंजन सभी को खूब पसंद आए। इसके साथ ही, अल्बानियाई परंपरागत नृत्य ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। खास आकर्षण रहा अल्बानिया की एक मशहूर मॉडल का रामपुरी गरारा पहनकर मंच पर आना, जिसने कार्यक्रम की रौनक को और बढ़ा दिया।
कार्यक्रम में अल्बानिया सरकार के पर्यटन, संस्कृति, और अर्थव्यवस्था मंत्रालयों के मंत्रियों सहित अन्य प्रमुख शख्सियतें भी उपस्थित थीं। सभी ने नवाब काजिम अली खां की जमकर प्रशंसा की। साथ ही, रामपुर से गए शेफ मोहम्मद फैजी की भी कुकिंग की खूब तारीफ की गई। प्रधानमंत्री एडी रामा स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजन में भाग लिया और रामपुर की शाही विरासत को प्रस्तुत करने वाले इस अद्वितीय आयोजन की बधाई दी।
भारत में अल्बानिया के मानद महावाणिज्य दूत दीक्षु कुकरेजा और नवेद मियां ने सभी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया। दीक्षु कुकरेजा अपनी पत्नी और बेटी के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए। नवेद मियां ने कार्यक्रम की सफलता पर अपनी खुशी जाहिर की।
अल्बानिया में पसंद किया गया रामपुर के शाही दस्तरख्वान का खाना
रामपुर से गए शेफ मोहम्मद फैजी द्वारा शाही दस्तरख्वान के विशेष व्यंजनों को खूब सराहा गया। इनमें रामपुरी यखनी पुलाव, सब्ज बिरयानी, तार गोश्त, मुर्ग मुसल्लम, अफगानी मुर्ग बर्रा, शाही मूंग दाल, नहारी और पसंदा सालन शामिल थे। इसके अलावा रामपुर के मशहूर चपली कबाब, काकोरी कबाब और शाह पसंद पनीर टिक्का भी बहुत पसंद किए गए। मिठाइयों में रामपुरी गुलत्थी, सूजी हलवा और शीर कोरमा ने भी महफिल लूट ली।
नवेद मियां के पीआरओ काशिफ खां ने बताया कि रामपुर की शाही रसोई, जिसमें भारतीय, फ़ारसी, और मध्य एशियाई खाना पकाने का अनूठा मिश्रण शामिल है, इस रियासत की सबसे बड़ी धरोहरों में से एक है।
शाही विरासत को जीवित रखा हुआ है ‘किचन ऑफ द किंग्स’
रॉयल फेबल्स का ‘किचन ऑफ द किंग्स’ मंच रियासतकालीन भारत की शाही रसोई संस्कृतियों को जीवित रखने का कार्य कर रहा है। इसकी संस्थापक अंशू खन्ना हैं। यह मंच भारतीय नवाबों और महाराजाओं के महलों में पकाए जाने वाले भोजन की दुर्लभ जटिलताओं और नाजुक जायकों को पेश करता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है।
अल्बानिया में भी है रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी की चर्चा
प्रेसिडेंशियल पैलेस में जब रामपुर की ऐतिहासिक धरोहरों का जिक्र हुआ, तो नवेद मियां ने रज़ा लाइब्रेरी के इतिहास पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि 1774 में स्थापित यह लाइब्रेरी, भारत के शाही अतीत की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का प्रतीक है। इसमें फ़ारसी, अरबी, उर्दू, और संस्कृत में 17,000 से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियाँ और लघु चित्र संग्रहित हैं।
रियासतकाल और आजादी के बाद भी कम नहीं हुआ रामपुर का महत्व
रामपुर, जिसे कभी पंद्रह तोपों की सलामी दी जाती थी, आज भी अपनी सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर के लिए जाना जाता है। उस्ताद इनायत हुसैन खान, बेगम अख्तर, मिर्ज़ा ग़ालिब, और तानसेन जैसी महान हस्तियों को यहां नवाबों का संरक्षण प्राप्त था।