रामपुर – रबी उल -अव्वल 1446 हिजरी को प्रातः 10 बजे मदरसा जामे उल उलूम फुरक़ानिया में हस्बें रीवायत इस साल भी सीरत-उल-नबी के जलसो का एहतेमाम किया गया। पहले दिन जलसे की सदारत के फरायीज़ मदरसा के वाइस प्रसिपल मौलवी मुहम्मद नासिर खा फुरकानी ने अंजाम दिए। जबकि निज़ामत के फराइज़ अरबी विभाग के शिक्षक मौलवी ऐतेसाम उल्लाह खा कादरी वजीही ने बखूबी अंजाम दिए।
जलसे का आघाज़ शोबा क़रात के तालिब ए इल्म कारी मुहम्मद शादमान फुरकानी और कारी मुहम्मद ज़ैद फुरकानी की खुश अल हान तिलावत कलाम ए इलाही से हुआ। उसके बाद मौलवी मुहम्मद सुफियान अहमद चौधरी फुरकानी मौलवी मुशाहिद फुरकानी, मौलवी मुहम्मद मामून खा, फुरकानी मौलवी अय्यान शाह खा फुरकानी मुहम्मद मामून फुरकानी, मौलवी मुहम्मद मारूफ फुरकानी मौलवी मुहम्मद रजा फुरकानी और मौलवी मुहम्मद इस्लाम फुरकानी ने नात-ए-सरवर कोनेन से सामेईंन के दिलो को जिला बख्शी।
उसके बाद मौलवी अमीर हमजा फुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद साहब फुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद फैज फुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद अतीक फुरक़ानी, मौलवी इरफान अली फुर्क़ानी, मौलवी अबुल उबैद फुरकानी, मौलवी अमीर हमजा फुरकानी, मौलवी सफवान खान फुरकानी, मौलवी सालेहुद्दीन खान फुरकानी, मौलवी मुहम्मद फरदीन फुरकानी, मौलवी मुहम्मद शाहरुख फुरकानी मौलवी मुहम्मद मसूद और मौलवी मुहम्मद अमान अहमद फुरकानी ने अपने तक़ारीर के माध्यम से हमारे नबी की ज़िन्दगी के विभिन्न पहलुओं पर रौशनी डाली खासतोर से मौलवी सालेहुद्दीन फुरकानी ने अपने जोशीले भाषण में कहा कि पैगम्बर साहब के आगमन के बाद से हर कली, हर पत्ता, हर गुल, हर गाँव, हर मक़ाम, हर जगह, हर जानदार और ग़ैर जानदार को नया जीवन मिला, यहाँ तक कि उस समय लड़की को ज़िंदा दफनाने का रीवाज था हमारे नबी के तशरीफ़ लाने के बाद औरतों को इज़्ज़त मिली उनको होक़ूक दिए गए यहाँ तक की माँ के क़ादमो को जन्नत से आरास्ता किया गया।
कार्यक्रम के अंत में प्रिंसिपल मदरसा मौलवी मोहम्मद रेहान खा फुरक़ानी ने इश्क मुहम्मद मुस्तफा पर अपनी मलफुज़ात ए गिरामी से सामेईन को महज़ूज़ फ़रमाया और सभी को इस दिन व अवसर की शुभकामनाएं दीं।
अंत में, सूफ़ी व कामिल बुज़ुर्ग हस्ती मौलवी अब्दुल वहाब खा उर्फ़ फैजान साहब कादरी वजीही के साथ जलसे में शामिल सभी अक़ीदत मंद हाज़ेरीन ने पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की बारगाह मे नज़राना ए अक़ीदत और सलाम पेश किया और मौलवी मोहम्मद रेहान खान फुरक़ानी की दुआ पर इस पहले जलसे का इख़्तिताम हुआ।
जलसे में मदरसे के सरपरस्त आला जनाब हजरत क़िब्ला मुफ़्ती मेहबूब अली साहब (मुफ़्ती ए आज़म रामपुर) और सभी शिक्षक और छात्र और शहर के बाहर के कई लोग शामिल हुए। जिसमे मौलवी शकील क़मर साहब मुहम्मद काशिफ़ साहब और शाहवेज़ साहब आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।