नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संपत्तियों के विध्वंस को लेकर अपने आदेश की अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन शामिल थे, ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि याचिकाकर्ता का उक्त विध्वंस से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
पीठ ने कहा, “हम पेंडोरा बॉक्स नहीं खोलना चाहते।”
अदालत ने यह भी कहा कि वह उन लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनकी संपत्तियों का विध्वंस हुआ है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि हरिद्वार, जयपुर और कानपुर में अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए संपत्तियों का विध्वंस किया है, जिसमें कहा गया था कि बिना अनुमति विध्वंस नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिनमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में अपराधियों से जुड़े लोगों की संपत्तियों का विध्वंस किया जा रहा है।
अदालत ने 17 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि 1 अक्टूबर तक बिना उसकी अनुमति के कोई विध्वंस नहीं किया जाएगा, और यह आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक कि वह मामले का फैसला नहीं करती। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या सार्वजनिक स्थानों जैसे जल निकायों आदि पर बने अवैध निर्माणों पर लागू नहीं होगा।