सतुआनी 2025: आज मनाया जा रहा सतुआनी पर्व, सत्तू खाने और दान करने का विशेष महत्व, बाजारों में खरीदारों की भीड़
मेष संक्रांति के साथ हुआ खरमास का समापन
मिर्जापुर: मिर्जापुर सहित पूरे जिले में आज सत्तू संक्रांति (सतुआनी) का पर्व बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो गया है, जिससे अब विवाह जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत हो सकेगी। इस अवसर पर लोग अपने कुलदेवताओं की पूजा कर उन्हें सत्तू और अन्य शीतल वस्तुएं अर्पित करते हैं।
सौर नववर्ष की भी होती है शुरुआत
सतुआनी के दिन को सौर नववर्ष का प्रारंभ भी माना जाता है। इस दिन को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि सूर्य का मेष राशि में गोचर, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है, सोमवार सुबह 5:01 बजे हुआ। इसी कारण आज के दिन का विशेष महत्व है।
पितरों को तर्पण और दान का महत्व
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पितरों को तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार दान भी करते हैं। बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया से भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का आरंभ भी इसी पवित्र अवसर के बाद होता है।
बैसाखी स्नान का धार्मिक महत्व
पद्म पुराण में उल्लेखित है कि बैसाखी के दिन स्नान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। यह दिन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास माना जाता है।
बाजारों में सत्तू की जबरदस्त बिक्री
सतुआनी पर्व को लेकर बाजारों में जबरदस्त चहल-पहल देखी जा रही है। चना, जौ और मक्का के सत्तू की मांग सबसे अधिक है। शहर के चौक-चौराहों पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सत्तू विक्रेताओं की दुकानों पर रविवार की रात तक खरीदारों की भीड़ लगी रही और आज भी खूब बिक्री होने की उम्मीद है।
आस्था और परंपरा का संगम है सतुआनी
यह पर्व न सिर्फ मौसम में बदलाव का संकेत देता है, बल्कि लोगों को अपने पूर्वजों, परंपराओं और प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करने का भी अवसर प्रदान करता है। सतुआनी पर्व का उद्देश्य शरीर को शीतलता देना, सात्विक आहार ग्रहण करना और सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देना है।