समस्तीपुर: हसनपुर पुरानी दुर्गा स्थान पुस्तकालय में भव्य अष्टयाम महायज्ञ का हुआ समापन

समस्तीपुर: हसनपुर प्रखण्ड क्षेत्र के मल्हीपुर रोड स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर स्थान पुस्तकालय परिसर में सनातन धर्म संस्कृति के द्वारा भगवान श्रीराम के अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर सोमवार को भव्य कलश यात्रा एवं राममय झांकी के साथ क्षेत्र परिभ्रमण कर 24 घंटे का अष्टयाम महायज्ञ का आरम्भ किया गया, जिसका समापन मंगलवार को पंडित विमलेश झा ने मंत्रोच्चारण के साथ किया । वहीं सोमवार की संध्या में हसनपुर क्षेत्र के गांवों में राम भक्त ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रफुल्लित मन के साथ श्रीराम उत्सव मनाया । इस अवसर पर हसनपुर प्रखण्ड के पूर्व प्रमुख सुभाषचंद्र यादव ने कहा कि सोमवार 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी का प्राण प्रतिष्ठा ऐतिहासिक हुआ है, जिसे सनातनी सदियों सदी तक याद रखेंगे । उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम संपूर्ण वांग्मय के देवता हैं । राम सबके हैं सब राम के हैं इसकी प्रमाणिकता तुलसी दास जी के सियाराम यम सबजग जानी से होता है । उन्होंने मर्यादा का कभी भी उल्लंघन नहीं किया चाहें कैसी भी परिस्थिति क्यूं न हो । धनुष तोड़ कर उन्होंने सिर्फ गुरु आज्ञा का पालन किया । वे ये समझ भी नहीं रहें थे कि हो क्या रहा है ।

Samastipur: Grand Ashtayam Mahayagya concluded in Hasanpur Old Durga Sthan Libraryपुरूषोत्तम श्रीराम राज तिलक के बदले बनवास मिला, जिसे श्रीराम जी सहर्ष स्वीकार किया पारिवारिक सांस्कृतिक मर्यादा की रक्षा के लिए उन्होंने लंका पर चढ़ाई किए और माँ जानकी को सुरक्षित वापस लाए । राजा होते हुए उन्होंने एक पत्नी वर्त का पालन किया जनता की भावना और राज्य सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहें । राम स्वयं में एक व्यक्ति नहीं बल्कि आदर्श थे । जिनके आदर्शों पर चलकर मनुष्य सफल जीवन जी रहे हैं । सुभाषचंद्र यादव ने कहा बर्बर आक्रमणकारियों ने देश से सनातन धर्म को मिटाने के लिए अनेकों मंदिरों को तोड़ा जिसका शिकार रामजन्म भूमि भी हुआ जिसकी रक्षा और निर्माण के लिए सदियों से सनातनी का संघर्ष जारी रहा जिसमें लाखों लोग वीरगति को प्राप्त हो गए हजारों संतों महंतों ने अपने प्राण त्याग दिए । उसी समय जगद गुरु रामानंदाचार्य जी महाराज अपने शिष्यों के द्वारा सख्त विरोध किया और उनके शिष्य स्वामी वाला नंद जी ने अखाड़ा परिषद का निर्माण कर विध्रमी शासक का विरोध किया और भयंकर युद्ध हुआ तो धर्म की रक्षा हुई विशेष धार्मिक कर जजिया कर लगाया फिर भी सनातन धर्मावलंबियों ने स्वीकार किया और अपने धर्म पर कायम रहे यह विवाद गुलामी की याद दिला रहे थे सनातन धर्म संस्कृति के मंदिरों की रक्षा और निर्माण प्रत्येक सनातन धर्मावलंबियों का जन्म सिद्ध अधिकार है । सनातन धर्म किसी का विरोध नहीं करता है सबका सम्मान करता है संसार में दो दंड महत्वपूर्ण है राजदंड और धर्म दंड धर्म दंड ही हमारी रक्षा सदैव करता है । धर्मों रक्षति रक्षित:। मौके पर पूर्व प्रमुख सुभाषचंद्र यादव, मरांची उजागर के पूर्व मुखिया सह मुखिया प्रतिनिधि शिवचन्द्र प्रसाद यादव, डॉ रामकुमार यादव, भारती कॉन्सेप्ट के निदेशक अजय कुमार, पूर्व मुखिया दिनेश साह उर्फ दिना साह, रामचन्द्र यादव, वर्ती मिन्टू यादव, अशोक यादव, सुरेन्द्र साह, परमजीत कुमार, सचिन कुमार यादव, बैजनाथ यादव, जामुन चौरसिया, रामप्रीत ठाकुर, रामनारायण अग्रवाल, प्रवीण कुमार, बिल्लू अग्रवाल, सोनू कानोडिया, महेश चांद, गोविन्द कुमार, रामचन्द्र महतों, कन्हैया कुमार, कृष्ण कुमार, लल्लू यादव, सुशील दीवाना, अर्जुन कुमार, लक्ष्मी शर्मा, गुंजन, गुल्लू समेत क्षेत्र के अन्य हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया ।

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