रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष भोलेनाथ के आंसूओं से उत्पन्न हुआ है और इसमें अनगिनत शक्तियाँ समाहित हैं। रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। खासकर दांपत्य जीवन में अगर कोई दरार या दूरी आ गई हो, तो रुद्राक्ष का महत्व और भी बढ़ जाता है।
दांपत्य जीवन के लिए दो मुखी रुद्राक्ष
धर्म शास्त्रों के अनुसार, रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार होते हैं और प्रत्येक का विशेष महत्व है। दांपत्य जीवन में आ रही समस्याओं और रिश्तों में अनबन को दूर करने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता और समृद्धि लाता है। इसके धारण से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे रिश्तों में शांति और सौहार्द्र की स्थिति बनी रहती है।
दूसरे लाभ
दो मुखी रुद्राक्ष को अर्ध नारिश्वर का स्वरूप माना जाता है और इसे धारण करने से कई फायदे होते हैं। यह रुद्राक्ष गोहत्या जैसे पापों से मुक्ति दिलाता है, साथ ही घर में क्लेश और अशांति का निवास नहीं होता। यह जीवन में सुख, समृद्धि और शांति के द्वार खोलता है। इसके अलावा, इसे पहनने से बुद्धि का विकास होता है और व्यापार में सफलता भी प्राप्त होती है।
कैसे करें दो मुखी रुद्राक्ष की पहचान?
दो मुखी रुद्राक्ष की पहचान इसके दो धारियों से की जाती है। इसे खरीदते समय यह सुनिश्चित करें कि उसमें दो स्पष्ट धारियां हों। नेपाल में सबसे अच्छा रुद्राक्ष मिलता है, लेकिन इसे हरिद्वार या रामेश्वरम से भी खरीदा जा सकता है।
धारण करने के नियम
दो मुखी रुद्राक्ष को दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए धारण करने से पहले कुछ खास नियमों का पालन करना आवश्यक है। इसे पति-पत्नी को जोड़े से धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष को सोने की चैन या लाल रंग के धागे में डालकर गले में पहनना जाता है। धारण करने से पहले इसे सोमवार के दिन कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद रुद्राक्ष को धूप दिखाएं और फिर शिव स्रोत का पाठ करें। अंत में, पांच बार ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करके रुद्राक्ष धारण करें।
इस प्रकार, दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और रिश्तों में सुख और शांति का प्रवाह बना रहता है।