नागपुर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या वृद्धि दर में कमी को चिंता का विषय बताते हुए कहा कि यह दर 2.1% से नीचे नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के अस्तित्व के लिए जरूरी है कि प्रत्येक परिवार कम से कम 3 बच्चे पैदा करें। भागवत ने इस बात को अहम बताते हुए कहा कि समाज का जीवित रहना इस संख्या पर निर्भर करता है।
भागवत रविवार को नागपुर में आयोजित कठाले कुल सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुटुंब समाज का अभिन्न हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई के रूप में कार्य करता है।
भागवत ने इस संदर्भ में देश की जनसंख्या नीति का भी जिक्र किया, जो 1998-2002 के दौरान तय की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% से नीचे चली जाती है, तो वह समाज धीरे-धीरे नष्ट हो जाएगा।
जनसंख्या पर भागवत के पहले के बयान:
अक्टूबर 2021: विजयादशमी उत्सव के दौरान संघ प्रमुख ने कहा था कि जनसंख्या वृद्धि दर में असंतुलन के कारण मुस्लिम आबादी का अनुपात बढ़ा है। उन्होंने चिंता व्यक्त की थी कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर आया, जिससे भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83.8% हो गया, जबकि मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया। इस असंतुलन पर उन्होंने जनसंख्या नीति की आवश्यकता जताई थी।
जुलाई 2022: भागवत ने फिर कहा था कि जनसंख्या असंतुलन पर हमें नजर रखनी होगी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर फर्टिलिटी रेट 2.1 से नीचे चला गया तो यह खतरनाक हो सकता है। साथ ही, उन्होंने एक व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति की आवश्यकता पर जोर दिया था, जो सभी पर समान रूप से लागू हो।
भागवत का मानना है कि यदि यह दर बहुत नीचे चली जाती है तो यह समाज और राष्ट्र के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है।