चेन्नई: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT 2024-25) के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए भारतीय सीनियर ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने ब्रिसबेन टेस्ट के बाद अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। इस फैसले ने सभी को चौंका दिया, खासकर जब सीरीज अभी जारी थी। इस अचानक के फैसले के बाद उनके पिता ने बयान दिया कि उनके बेटे के संन्यास के पीछे एक कारण ‘अपमान’ हो सकता है, जिससे विवाद पैदा हो गया।
अश्विन के पिता ने गुरुवार को ‘सीएनएन न्यूज18’ से बात करते हुए कहा, “मुझे भी आखिरी समय में पता चला कि वह संन्यास लेने जा रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, और केवल अश्विन ही इसे जानते हैं, शायद अपमान के कारण।” हालांकि, अश्विन ने अपने पिता के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी और इसे अधिक तवज्जो न देते हुए कहा कि यह बयान केवल मीडिया ट्रेनिंग की कमी के कारण आया था।
अश्विन ने कहा, “मेरे पिता मीडिया से बात करने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं, और मैंने कभी नहीं सोचा था कि आप ‘पिता के बयानों’ की इस परंपरा का पालन करेंगे। आप सभी से अनुरोध है कि उन्हें माफ कर दें और उन्हें अकेला छोड़ दें।” अश्विन ने यह प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर दी और लिखा, “डे फादर इन्नेडा इथेलाम” (यह सब क्या है, पिताजी)।
अश्विन ने ब्रिसबेन में तीसरे टेस्ट के खत्म होने के बाद संन्यास का ऐलान किया था और उसी शाम चेन्नई लौट आए थे। उन्होंने बताया कि यह फैसला उनके दिल की आवाज थी और यह कुछ समय से उनके दिमाग में चल रहा था। हालांकि, उनके पिता ने यह भी कहा कि परिवार कुछ समय से अश्विन के संन्यास की उम्मीद कर रहा था, क्योंकि उनका अपमान हो रहा था। उन्होंने हालांकि अपमान के कारणों का स्पष्ट रूप से खुलासा नहीं किया।
रविचंद्रन ने कहा, “वह कब तक इन चीजों को बर्दाश्त करता? शायद उसने खुद ही यह फैसला किया होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि यह अश्विन का अपना निर्णय था और वह इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते थे। “जिस तरह से उसने संन्यास लिया, एक तरफ मैं खुश था, दूसरी तरफ मुझे दुख हुआ क्योंकि उसे खेलना जारी रखना चाहिए था।”
अश्विन ने ब्रिसबेन में मीडिया से कहा था कि उन्हें लगता है कि उनके अंदर अभी भी क्रिकेट खेलने का जोश बाकी है। भारतीय टीम में 537 टेस्ट विकेट लेने वाले अश्विन को पर्थ में पहले टेस्ट के लिए टीम में शामिल नहीं किया गया था और एडिलेड में गुलाबी गेंद के टेस्ट में भी उन्हें खेलने का मौका मिला था। तीसरे टेस्ट में भी वह एकादश से बाहर थे और इस बार रविंद्र जडेजा को चुना गया था।
कप्तान रोहित शर्मा ने इस बारे में बताया था कि उन्होंने पर्थ टेस्ट के दौरान अश्विन से बात की थी और उन्हें गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले टेस्ट मैच के लिए रुकने के लिए मनाया था। रोहित ने कहा, “यह उनके दिमाग में था और जाहिर तौर पर इसके पीछे कई कारण थे। जब मैं पर्थ पहुंचा तो हमने इस पर बात की और मैंने किसी तरह उन्हें गुलाबी गेंद से होने वाले टेस्ट मैच के लिए रुकने को मना लिया।”
अश्विन का अचानक संन्यास का फैसला क्रिकेट जगत में एक बड़ा चर्चास्पद मुद्दा बन गया है, और यह देखना होगा कि आने वाले समय में उनका करियर किस दिशा में आगे बढ़ता है।