रंगभरी एकादशी 2025: महत्व और पूजा विधि

हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत होते हैं, जिससे साल में कुल 24 एकादशी व्रत आते हैं। हालांकि, प्रत्येक एकादशी का महत्व होता है, लेकिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है। इसे रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस दिन केवल भगवान विष्णु का ही नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी, भगवान शिव और माता पार्वती का भी पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में इसे बेहद शुभ और फलदायी व्रत माना जाता है।

रंगभरी एकादशी 2025 कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 मार्च 2025 को सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और 10 मार्च 2025 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए, उदयातिथि के अनुसार 10 मार्च को रंगभरी एकादशी यानी आमलकी एकादशी का व्रत किया जाएगा।

रंगभरी एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, और उन्हें गुलाल यानी अबीर अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है। कहते हैं कि होली से पहले भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी, भगवान शिव और माता पार्वती को रंग लगाकर उनके साथ होली खेली जाती है। इस दिन का उद्देश्य यह होता है कि भगवान का आशीर्वाद हमेशा परिवार पर बना रहे और घर में सुख-समृद्धि का वास हो।

रंगभरी एकादशी पर शिव-पार्वती का पूजन
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती विवाह के बाद पहली बार अपने निवास स्थान कैलाश पर्वत पर गए, तो वहां शिवगणों ने उनका स्वागत गुलाल और अबीर से किया। इसलिए, रंगभरी एकादशी के दिन शिव और पार्वती को अबीर चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और इससे वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। इस दिन शिवलिंग पर रंग अर्पित करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारी धार्मिक और सामाजिक आस्थाओं पर आधारित है। कृपया इस विषय में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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