रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय में 7 अक्टूबर 2024 को 250 वर्ष पूर्ण हाने के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों का प्रारम्भ हो गया। कार्यक्रमों के श्रृंखला के अनुसार गाँधी जयन्ती के उपलक्ष्य में वसुधैव समन्वयक गाँधी विषय पर विचार गोष्ठी एवं भजन संध्या (गाँधी जी के गीत) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम से पूर्व उपस्थित सभी अतिथियों ने अपराह्न 2:30 बजे गाँधी समाधी पर सर्व प्रथम पुष्प अर्पित किये। तत्पश्चात रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में वसुधैव समन्वयक गाँधी विषय पर विचार गोष्ठी प्रारम्भ हुई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमजे अकबर प्रख्यात विचारक एवं पत्रकार पूर्व विदेश राज्यमंत्री भारत सरकार, विशेष अतिथि डॉ रविकांत मिश्र प्रख्यात इतिहासकार संयुक्त निदेशक प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय नई दिल्ली, डॉ विकास पाठक प्रख्यात पत्रकार उप सहयोगी संपादक इण्डियन एक्सप्रेस नई दिल्ली द्वारा विचारों को एवं डॉ ज्योतिष जोशी प्रख्यात विचारक साहित्यकार लेखक आलोचक व कलाविद् द्वारा बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमजे अकबर प्रख्यात विचारक एवं पत्रकार पूर्व विदेश राज्यमंत्री भारत सरकार ने कहा कि गाँधी जी ने हमें खोफ और भय से आजाद करवाया। जब देश को संभालना था, आने वाली पीढ़ी को सोपना था। जब 1530 ई0 में पूर्ण स्वराज हुआ उस जमाने में गाँधी जी ने यह ध्यान दिया कि मुल्क तो हमारे मन में आज़ाद हो ही चुका है, पूर्ण स्वराज तो आ ही गया है, लेकिन मुल्क को हम बनाये कैसे। गाँधी जी के अनुसार अज़ादी का मतलब था आवाज की आज़दी, महज़ब की आज़दी। गाँधी जी के विचारों के कारण ही आज का हमारा प्रजातंत्र दुनिया में सबसे मजबूत है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ ज्योतिष जोशी ने अपना बीज़ वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि गाँधी जी अनुसार सत्य ही ईश्वर है, सत्य ही प्रेम है, सत्य ही परमआत्मा है, सत्य ही वह अनुष्ठान है, जिसके लिए हम जीने का संकल्प करते हैं। गाँधी जी ने अपने जीवन को ही प्रयोग कहा, और जो कहा उसे जीने की चेष्ठा की। सत्य गाँधी जी का साध्य था, ध्येय था और अंहिसा उनकी मुख्य साधना थी। गाँधी जी ने हमेशा मन और देह की पवित्रता की बात की। गाँधी जी ने हमेशा नैतिकता को प्रस्तावित किया, सत्य के प्रति आग्रहशील रहने को उद्बोधित किया, और हमको सम्बोधित किया कि हम पूरी दुनियाँ को एक परिवार की तरह देखें।
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ रविकांत मिश्र ने कहा कि भारत से ही नहीं बल्कि दुनियां भर से आधुनिक जगत में जो सबसे बड़े व्यक्तित्व थे जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व सबसे विराट था, मेरी यह धारणा है कि वह गाँधी जी ही थे। दक्षिण अफ्रिका में जो गाँधी जी ने कार्य किए उसका महत्व बहुत बड़ा है। गाँधी जी की ही प्रेरणा से ही दुनिया के दूसरे बहुत सारे देशों में उपनिवेशवाद के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हुई। सत्य एवं अहिंसा में पूरे विश्व को समाहित किया जा सकता है, यह गाँधी जी का विश्वास था।
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ विकास पाठक ने कहा कि गाँधी जी के अनुसार अंग्रेजी कानून समाज में संघर्षों को बड़ावा देता था, किसी समस्या को सुलझाना नहीं था। गाँधी जी उस समय लोगों को संदेश दे रहे थे कि अंग्रेजियत आपसे श्रेष्ठ नहीं हैं, हमारी सभ्यता अपने आप में इतनी श्रेष्ठ है, कि अंग्रेज हमसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। गाँधी जी के इन्ही विचारों के कारण हमारा स्वतन्त्रता संग्राम गाँव-गाँव तक पहुँचा। कहा कि गाँधी जी ने पूरे देश के अलग वर्गों को एक सूत्र में बाँधा। गाँधी जी के विचारों के कारण ही आज़ादी के बाद भी हमारा देश पूरे विश्व में एक सूत्र में बंधे रहने का संदेश दे रहा है।
इस अवसर पर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र ने कहा कि लोकरचना कभी संघर्ष से नहीं होती, समन्वय से होती है और समन्वय का मार्ग गाँधी का मार्ग है। वसुधैव समन्वय का वही भाव है जो वसुधैव कुटुम्बुकम का है। गाँधी जी ने हमें जीवन का मार्ग दिया है। आज गाँधी जयन्ती के अवसर पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय द्वारा गाँधी के आचरण को अपनाइये विषय पर प्रदर्शनी प्रदर्शित की गई है। गाँधी को जानिये और
कार्यक्रम में शहर के सभी गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।