रामपुर: राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में “डॉ अन्दलीब शादानी की अदबी खिदमात” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

रामपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामपुर में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और उर्दू विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “डॉ अन्दलीब शादानी की अदबी खिदमात” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य, मुख्य अतिथि और अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया, उसके बाद अतिथियों का पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया गया।

संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक प्रो. (डॉ.) अमित भारद्वाज (डॉयरेक्टर, उच्च शिक्षा, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज) ने ऑनलाइन संबोधन में संगोष्ठी के आयोजन के लिए महाविद्यालय और उर्दू विभाग को बधाई दी और कहा कि इस प्रकार की संगोष्ठियों से शोध को बढ़ावा मिलता है।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य एवं संगोष्ठी की संरक्षक प्रो. (डॉ.) सुनीता जायसवाल ने की। उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि 2014 के बाद इस महाविद्यालय में पहली बार राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्दलीब शादानी उर्दू के लोकप्रिय शायरों में गिने जाते हैं, और उनकी शायरी की रूमानी शैली के कारण वह बहुत प्रसिद्ध हुए। शायरी के अलावा, उन्होंने कहानियां और समालोचनात्मक लेख भी लिखे।

मुख्य अतिथि शफीक ज़मा शफीक (पूर्व डायरेक्टर, नेहरू युवा केन्द्र संगठन, लखनऊ) ने डॉ. अन्दलीब शादानी की अदबी खिदमात पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि एस फज़ीलत और प्रो. (डॉ.) सय्यद मोहम्मद अरशद रिज़वी ने भी संगोष्ठी के विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र के अंत में मुख्य अतिथि शफीक ज़मा शफीक की पुस्तक “उम्मीदों का सफर” का विमोचन अतिथियों के हाथों हुआ।

इस एक दिवसीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में विभिन्न प्रदेशों से आए विद्वानों और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस सत्र की अध्यक्षता असरार अहमद ने की। डॉ. मौसूफ अहमद ने अन्दलीब शादानी की साहित्यिक खिदमात, शायरी, कहानीकारिता, पत्रकारिता और आलोचना पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. संजय कुमार ने अन्दलीब शादानी की शायरी का फिक्री और फन्नी जायज़ा पेश किया। उन्होंने बताया कि मुशायरों और अदबी महफिलों में अन्दलीब शादानी ने अपनी शायरी का जादू बिखेरा और श्रोताओं से खूब वाहवाही बटोरी।

डॉ. हिना परवीन ने अपने शोध पत्र “अन्दलीब शादानी का रंगे तगज़जुल” में कहा कि उनकी शायरी सादी, पुरकार और अलबेली है। डॉ. बुशरा खातून ने कहा कि अन्दलीब शादानी एक रूमानी शायर के तौर पर प्रसिद्ध हैं और उर्दू में एक समालोचक के रूप में भी उन्हें सम्मानित किया जाता है। डॉ. अतहर मसूद और याकूब हुसैन ने अन्दलीब शादानी की कहानियों का आलोचनात्मक विश्लेषण किया।

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डॉ. रबाब अंजुम ने अन्दलीब शादानी की कविता पर विस्तृत चर्चा की। संगोष्ठी में दो छात्राओं, रुशद रहमान और मोनालिका सक्सेना ने अपनी गजल प्रस्तुत कर माहौल को गुलजार कर दिया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक डॉ. रज़िया परवीन ने दोनों सत्रों का मंच संचालन किया। सह समन्वयक डॉ. इफ्तेखार अहमद क़ादरी, डॉ. मोहम्मद क़ासिम और निशात बानो ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, बड़ी संख्या में छात्राएं, शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति, पत्रकार और महाविद्यालय का कार्यालय स्टाफ उपस्थित रहे, जिन्होंने इस संगोष्ठी के आयोजन में विशेष योगदान दिया।

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