रामपुर: कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर की शिकायत, नेताओं को घरों में नज़रबंद करने पर जताई नाराज़गी

पुलिस द्वारा कांग्रेस नेताओं की नज़रबंदी पर कांग्रेस का विरोध

रामपुर: 18 दिसम्बर को लखनऊ में प्रस्तावित विधानसभा घेराव में भाग लेने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधिमंडल अपने जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र देव गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक से मिला और अपनी नाराज़गी जाहिर की। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन ने उन्हें घरों में नज़रबंद कर दिया है और लखनऊ जाने से रोकने की कोशिश की जा रही है।

कांग्रेस का आरोप – लोकतंत्र और संविधान पर हमला
इस दौरान धर्मेन्द्र देव गुप्ता ने कहा कि सरकार की ओर से प्रशासन को निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि कांग्रेस के नेताओं को किसी भी प्रकार से लखनऊ जाने से रोका जा सके। उन्होंने कहा, “पुलिस द्वारा कांग्रेस पदाधिकारियों को न केवल घरों में नज़रबंद किया गया है, बल्कि उन्हें डराने और धमकाने का प्रयास भी किया जा रहा है। यह लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है।” गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि यह सब सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए किया जा रहा है।

कांग्रेस का सवाल – क्या लोकतंत्र में अपनी आवाज़ उठाना अपराध है?
कांग्रेस नेताओं ने पुलिस अधीक्षक से सवाल किया कि क्या लोकतंत्र में अपनी बात रखना अब अपराध बन गया है? धर्मेन्द्र देव गुप्ता ने यह भी कहा कि अब तक कई बार विधानसभा घेराव हुए हैं, लेकिन कभी ऐसा माहौल नहीं पैदा किया गया था जैसा इस बार किया जा रहा है। उन्होंने सरकार पर विपक्ष को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख नेताओं की भागीदारी
इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस के ज़िला अध्यक्ष धर्मेन्द्र देव गुप्ता के अलावा, पूर्व विधायक अफरोज अली खाँ, शहर अध्यक्ष नोमान खाँ, अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मोईन पठान और ज़िला उपाध्यक्ष अकरम सुलतान भी मौजूद थे।

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधीक्षक से इस नज़रबंदी की कार्रवाई पर सख्त आपत्ति जताई और इसे संविधान और लोकतंत्र का उल्लंघन मानते हुए उचित कदम उठाने की मांग की। कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई उनकी आवाज़ को दबाने की साज़िश है, जिसे वे कभी सफल नहीं होने देंगे।

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