राजस्थान सरकार ने 12 नगर पालिकाओं को रद्द कर ग्राम पंचायत में बदल दिया, जानिए कौन-कौन सी नगर पालिकाएं प्रभावित हुईं
जयपुर: राजस्थान सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए 12 नगर पालिकाओं को फिर से ग्राम पंचायत में बदल दिया है। इस फैसले के तहत, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इन नगर पालिकाओं के गठन की अधिसूचना को वापस ले लिया। राज्य सरकार की ओर से स्वायत्त शासन विभाग में इस संबंध में एक नई अधिसूचना भी जारी की गई है। यह निर्णय राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान किए गए नगर पालिका गठन को लेकर लिया गया, जो अब न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने हाल ही में विधानसभा में बजट सत्र के दौरान इस मामले में कार्यवाही शुरू होने की जानकारी दी थी। इस निर्णय ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है, और यह मुद्दा कई दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं के तहत सामने आया है।
12 नगर पालिकाओं का गठन रद्द
राज्य सरकार द्वारा रद्द की गई नगर पालिकाओं का गठन विशेष रूप से जनजातीय उप योजना क्षेत्र में किया गया था। इन नगर पालिकाओं के गठन को लेकर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, और अदालत ने इस मामले में निर्णय देते हुए नगर पालिकाओं के गठन को रद्द कर दिया। इस आदेश के बाद इन नगर पालिकाओं को पुनः ग्राम पंचायत में बदल दिया गया है।
ये 12 नगर पालिकाएं राज्य के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं, और इनका गठन पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किया गया था।
निम्नलिखित नगर पालिकाओं का गठन रद्द किया गया और इन्हें ग्राम पंचायतों में बदल दिया गया:
- ऋषभदेव (उदयपुर)
- घाटोल (बांसवाड़ा)
- पोंख (झुंझुनू)
- रायपुर (भीलवाड़ा)
- जावाल (सिरोही)
- रानी (अलवर)
- खीरनी (सवाईमाधोपुर)
- लालगढ़ जाटान (श्रीगंगानगर)
- रामदेवरा (जैसलमेर)
- रानीवाड़ा (जालौर)
- सेमारी (सलूंबर)
- चावंड (सराड़ा)
इन नगर पालिकाओं के गठन को रद्द करने की प्रक्रिया राज्य सरकार ने न्यायालय के आदेश के बाद शुरू की। यह निर्णय उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां जनजातीय क्षेत्रों के विकास की योजना थी, लेकिन अब इस फैसले से इन क्षेत्रों की प्रशासनिक संरचना में बदलाव किया गया है।
जयपुर के शहरी सीमा क्षेत्र में बदलाव
इसके साथ ही, राज्य सरकार ने जयपुर की शहरी सीमा में भी बदलाव करने की योजना बनाई है। स्वायत्त शासन विभाग ने इस संबंध में भी अधिसूचना जारी की है। राज्य सरकार की योजना के अनुसार, जयपुर के दोनों नगर निगमों, ग्रेटर जयपुर नगर निगम और हैरिटेज जयपुर नगर निगम को एक में मर्ज किया जाएगा। इसके लिए खाका तैयार किया गया है, और इस प्रक्रिया को जल्द ही अमल में लाने की योजना है।
इस बदलाव के कारण, दोनों नगर निगमों के दायरे में विस्तार किया जाएगा। वर्ष 2011 के अनुसार, ग्रेटर जयपुर नगर निगम की सीमा में 1.29 लाख आबादी को जोड़ा जाएगा, जबकि हैरिटेज जयपुर नगर निगम की सीमा में करीब 25 हजार की आबादी को जोड़ा जाएगा। इससे जयपुर के शहरी क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आएगा और शहर की प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और समन्वित बनाने में मदद मिलेगी।
नगर पालिका का गठन और ग्राम पंचायत का महत्त्व
राज्य सरकार द्वारा नगर पालिकाओं के गठन को रद्द कर ग्राम पंचायतों में बदलने के निर्णय का गहरा असर उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा। नगर पालिका और ग्राम पंचायत के बीच प्रशासनिक संरचना में अंतर होता है। नगर पालिका का गठन एक छोटे से शहर या कस्बे के प्रशासन के लिए किया जाता है, जबकि ग्राम पंचायत का गठन एक गांव या छोटे ग्रामीण क्षेत्र के प्रशासन के लिए किया जाता है।
ग्राम पंचायतें स्थानीय स्तर पर ग्रामीण प्रशासन और विकास कार्यों को चलाने का कार्य करती हैं। इनका गठन सरकार द्वारा ग्रामीण विकास के लिए किया जाता है और इनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना होता है। जब किसी नगर पालिका को ग्राम पंचायत में बदल दिया जाता है, तो यह स्थानीय प्रशासन को अधिक सरल और कम खर्चीला बनाने के उद्देश्य से किया जाता है।
राज्य सरकार का उद्देश्य और न्यायालय का आदेश
राज्य सरकार का उद्देश्य इस निर्णय के माध्यम से प्रशासनिक ढांचे को अधिक प्रभावी और समर्पित करना है। उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए राज्य सरकार ने इन नगर पालिकाओं का गठन रद्द कर ग्राम पंचायतों में बदल दिया है, ताकि इन क्षेत्रों में बेहतर प्रशासन हो सके।
स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया के तहत न्यायालय के आदेश का पालन किया जा रहा है, और इन नगर पालिकाओं का गठन जनजातीय क्षेत्रों के विकास के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि, न्यायालय ने इसे चुनौतीपूर्ण मानते हुए रद्द कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के रूप में इन क्षेत्रों का पुनर्गठन किया।
जयपुर नगर निगम के विस्तार की योजना
जयपुर नगर निगम के क्षेत्र में किए जा रहे बदलाव से संबंधित योजना पर भी काफी चर्चा हो रही है। राज्य सरकार का यह कदम जयपुर शहर के शहरी विकास और प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए है। एकल नगर निगम के तहत इन दोनों निगमों को मर्ज करने से प्रशासन में सुधार होगा, और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
राजस्थान सरकार का यह निर्णय राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की प्रशासनिक संरचना को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 12 नगर पालिकाओं का गठन रद्द कर इन्हें ग्राम पंचायतों में बदलने की प्रक्रिया को राज्य सरकार ने सही दिशा में कदम बढ़ाया है। वहीं, जयपुर नगर निगम के सीमा विस्तार की योजना भी शहर के विकास में अहम भूमिका निभाएगी। यह कदम सरकार के विकासात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो प्रशासनिक बदलावों के माध्यम से नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने का उद्देश्य रखता है।