गुस्ताखी माफ हरियाणा : पवन कुमार बंसल

"आपरेशन कामयाब रहा, मगर मरीज़ मर गया": जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसलों पर सवाल

गुस्ताखी माफ हरियाणा : पवन कुमार बंसल

“आपरेशन कामयाब रहा, मगर मरीज़ मर गया”: जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसलों पर सवाल

  • जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसलों पर गंभीर सवाल उठे

भारत के सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के फैसलों को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कई विशेषज्ञों और कानूनी जानकारों का मानना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ के कई निर्णय आधे अधूरे रहे हैं। इस संदर्भ में उनकी न्यायिक यात्रा को इस तरह से देखा जा सकता है जैसे “आपरेशन कामयाब रहा, मगर मरीज़ मर गया।”

  • बाबरी मस्जिद के मामले में एक अधूरा फैसला

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ का निर्णय विवादों से घिरा रहा। उन्होंने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को अपराध माना, लेकिन अपराधियों को सजा नहीं दी। यह एक ऐतिहासिक फैसला था जिसमें अपराध तो सिद्ध हुआ, लेकिन दोषियों को दंडित नहीं किया गया। इस फैसले ने न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए, क्योंकि दोषियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए गए।

  • इलेक्टोरल बोंड का असंवैधानिक करार, फिर भी धन की रक्षा

इलेक्टोरल बोंड्स को असंवैधानिक करार देने के बाद भी, जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस असंवैधानिक कृत्य से कमाए गए धन को सभी के पास रखने की अनुमति दी। यह निर्णय लोगों के बीच आश्चर्यजनक था, क्योंकि यदि कोई चीज असंवैधानिक मानी जाती है, तो उसके परिणामस्वरूप उस पर कोई प्रतिबंध भी होना चाहिए था।

  • महाराष्ट्र सरकार का फैसला: अवैध सरकार को कार्यकाल पूरा करने का आदेश

महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के बारे में जस्टिस चंद्रचूड़ का फैसला भी विवादित रहा। उन्होंने महाराष्ट्र की सरकार को अवैध माना, लेकिन उस सरकार को अपना कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी। यह स्थिति न्यायिक विचार और निष्पक्षता पर सवाल उठाती है, क्योंकि अगर कोई सरकार अवैध है, तो उसे संचालन की अनुमति क्यों दी जाए?

  • चंडीगढ़ मेयर चुनाव और लोकतंत्र का लुटेरा मामला

चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को लोकतंत्र का लुटेरा कहने के बावजूद, उन्हें किसी प्रकार की सजा नहीं दी गई। यह फैसला भी आलोचनाओं का शिकार हुआ, क्योंकि लोकतंत्र को बचाने का दावा करने वाले न्यायाधीश ने दोषी को कोई दंड नहीं दिया।

  • बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में अंतिम फैसला

बाबरी मस्जिद की जमीन पर अंतिम निर्णय भी जस्टिस चंद्रचूड़ के विवादास्पद फैसलों में शामिल है। उन्होंने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को गैरकानूनी माना और वहां राम के जन्म को भी स्वीकार नहीं किया। साथ ही, उन्होंने मंदिर पक्ष की दलीलों को नकारते हुए बाबरी मस्जिद की जमीन मंदिर पक्ष को दे दी। यह निर्णय कई पहलुओं पर सवाल उठाता है, जिसमें न्याय की समता और निष्पक्षता की चिंता व्यक्त की गई।

निष्कर्ष: आधे अधूरे फैसलों से जटिलताओं का जन्म

जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसलों में कई बार न्याय का पालन तो हुआ, लेकिन फैसले से जुड़े सभी पहलुओं पर ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसे इस तरह से देखा जा सकता है जैसे “आपरेशन कामयाब रहा, मगर मरीज़ मर गया” – फैसले सटीक थे, लेकिन परिणामों के मामले में न्याय की असलता का अभाव रहा।

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