Punyatithhi: बेमकसद और खूबसूरती से जी जिंदगी, बलराज साहनी की यादगार फिल्में दिल को आज भी करती है तरोताजा

‘किस्मत हथेली में नहीं, इंसान के बाजुओं में होती है"

नई दिल्ली। ‘किस्मत हथेली में नहीं, इंसान के बाजुओं में होती है।’ यह मात्र डॉयलॉग ही नही है बल्कि बलराज साहनी की कर्म है…..उन्होंने जैसा फिल्म में डॉयलाग दिया उसे अपनी मेहनत से जिंदगी में सच साबित भी किया और अपनी किस्मत संवारी…अपनी दौर के बेहद प्रतिभाशाली और प्रतिष्ठित अभिनेता युद्धिष्टिर साहनी उर्फ बलराज साहनी की आज पुण्यतिथि है। बलराज साहनी न सिर्फ अपनी फ़िल्मों बल्कि अपनी सामाजिक सरोकारों के लिए भी याद किये जाते हैं!

जीवन परिचय
बलराज साहनी का जन्म 1 मई 1913 में ब्रिटशि इंडिया के पंजाब प्रांत के रावलपिण्‍डी में हुआ था। साहनी के पिता का नाम हरबंस लाल था।

व्यक्तिगत जीवन
बलराज साहनी ने 1936 में दमयंती साहनी से विवाह किया था। 1947 में दमयंती के निधन के बाद साहनी ने 1949 में संतोष चंदोक से शादी की थी। साहनी के तीन संतान है। इनके बेटे परीक्षित साहनी ने पिता पर ‘द नॉन कन्फर्मिस्ट : मेमरीज ऑफ माई फादर बलराज साहनी’ टाइटल से एक किताब लिखी थी।

शिक्षा
बलराज साहनी ने इंग्लिश लिट्रेचर में अपनी मास्‍टर डिग्री लाहौर यूनिवर्सिटी से की। उन्‍होंने हिन्‍दी में बैचलर डिग्री भी ले रखी थी।

करियर
साहनी ने फ़िल्म ‘इंसाफ’ के साथ उन्‍होंने बॉलीवुड पारी की शुरुआत की। 1960 में पाकिस्‍तान दौरे के बाद उन्‍होंने ‘मेरा पाकिस्‍तानी सफर’ नामक एक किताब की भी रचना की। उन्‍होंने कई देशों की यात्रायें की और उन पर किताबें भी लिखी। साहनी ने ‘दो बीघा जमीन’‘काबुली वाला’, ‘लाजवंती’, ‘हकीकत’, ‘दो बीघा जमीन’, ‘धरती के लाल’, ‘गर्म हवा’, ‘दो रास्ते’ सहित कई प्रसिद्ध फिल्मों में अपनी अभिनय का लोहा मनवाया।

बीबीसी में भी किया काम
बीबीसी लंदन में बलराज साहनी ने साल 1940 से लेकर 1944 तक हिंदी रेडियो के एनाउंसर के तौर पर काम किया।

निधन
60 वर्ष की आयु में 13 अप्रैल 1973 को दिल का दौरा पड़ने से बलराज साहनी का निधन हो गया।

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