लंदन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विरोध, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के केलॉग कॉलेज में बवाल
लंदन: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के केलॉग कॉलेज में दिया गया भाषण उस समय बाधित हो गया जब एक समूह ने उनकी बातों के बीच में हस्तक्षेप किया। यह विरोध तब हुआ जब ममता बनर्जी वहां पर महिलाओं, बच्चों और समाज के पिछड़े वर्गों के सामाजिक विकास पर अपने विचार साझा कर रही थीं। विरोध करने वाले दर्शकों ने उनसे कुछ अहम सवाल उठाए, जिनमें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार और हत्या का मामला प्रमुख था।

प्रदर्शनकारियों का आरोप और ममता का संयम
ममता बनर्जी का भाषण शुरू होते ही कुछ लोगों ने सवाल उठाया और कहा, “यह कोलकाता नहीं है।” ममता ने अपना धैर्य बनाए रखा और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “मैं जो भी आप कहेंगे, उसे सुनने के लिए तैयार हूं।” हालांकि, जैसे-जैसे विरोध तेज हुआ, प्रदर्शनकारियों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या के मामले को लेकर ममता से जवाब मांगा। साथ ही, उन्होंने सिंगूर में टाटा समूह के नैनो कार प्रोजेक्ट के रुकने पर भी सवाल उठाया। ममता बनर्जी ने पूरी शांति और धैर्य से जवाब दिया, “आपका प्यार मुझे मिलता है, भाई। अगर आप राजनीति करना चाहते हो तो मेरी राज्य में जाकर अपनी पार्टी से कहिए। मैं आपको और आपके विचारधारा को चॉकलेट भेज दूंगी।”
हिंदुओं पर सवाल, ममता का जवाब
प्रदर्शनकारियों ने एक और सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने पूछा, “ममता जी, बंगाल में हिंदुओं के लिए क्या किया गया है?” इस पर ममता बनर्जी ने तुरंत जवाब दिया, “मैं सभी के लिए हूं – हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई।” इस जवाब के बाद दर्शकों में कुछ शांति स्थापित हुई, लेकिन विरोध जारी रहा।
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निवेश और चुनावी हिंसा पर सवाल
प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल में निवेश और चुनावी हिंसा को लेकर भी सवाल उठाए। इस पर ममता ने कहा, “यह मामला केंद्रीय सरकार के अधीन है और यह अब हमारे हाथ में नहीं है।” ममता ने स्पष्ट किया कि मामले की जांच चल रही है और उनकी सरकार इस पर कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
प्रदर्शनकारियों का हठ, आयोजकों की मध्यस्थता
समय के साथ प्रदर्शनकारी धीरे-धीरे वहाँ से चले गए, क्योंकि आयोजकों ने उन्हें ममता बनर्जी के भाषण को बाधित न करने की अपील की। कई लोग इस प्रकार के व्यवहार पर आपत्ति जता रहे थे। ममता बनर्जी ने भी प्रदर्शनकारियों से कहा, “अपने पार्टी को कहो कि हमारे राज्य में अपनी ताकत बढ़ाए ताकि वे हमसे मुकाबला कर सकें।”
सौरव गांगुली का मौन समर्थन
सूत्रों के मुताबिक, जब ममता का भाषण बाधित हो रहा था, तब भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली भी दर्शकों में मौजूद थे। यह भी चर्चा में आया कि गांगुली ने इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मौन ही बने रहे।
प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया का समर्थन किया
भा.ज.पा. के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया ने सोशल मीडिया पर इस घटनाक्रम को लेकर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “बंगाली हिंदुओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सामना किया, और उन्हें आरजी कर में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या के मामले, संदीपखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध, हिंदुओं के नरसंहार और भ्रष्टाचार के बारे में सवाल उठाए।” इस पोस्ट ने पूरे देश में बवाल मचाया।
ममता बनर्जी का भाषण और मुख्य उद्देश्य
ममता बनर्जी को केलॉग कॉलेज में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था। उनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं, बच्चों और समाज के हाशिये पर खड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक विकास पर बात करना था। ममता ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें उन्होंने महिलाओं की स्थिति, शिक्षा, और समाज में उनके अधिकारों की बात की। उनका यह भाषण इस उद्देश्य से था कि समाज के कमजोर वर्गों को बेहतर अवसर मिले और उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए।
ममता बनर्जी की आलोचना और समर्थन
यह घटना इस बात को लेकर भी चर्चा का विषय बन गई कि ममता बनर्जी को उनके विरोधियों द्वारा किस तरह से आलोचना का सामना करना पड़ता है। जहां एक ओर भाजपा और अन्य विरोधी दल ममता की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाते हैं, वहीं दूसरी ओर ममता के समर्थक उनके इस कड़े संघर्ष को सराहते हैं और उनकी सरकार की योजनाओं को सकारात्मक रूप में देखते हैं।
यह घटना एक बार फिर से राजनीति और सार्वजनिक जीवन के बीच के संवाद की जटिलताओं को उजागर करती है। ममता बनर्जी का यह भाषण, और उस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई बाधा, यह दर्शाता है कि राजनीति में विरोध और समर्थन के बीच की सीमाएं कितनी धुंधली हो सकती हैं। हालांकि ममता ने अपने संयम और धैर्य से स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया कि सार्वजनिक जीवन में आलोचना और विरोध का सामना करना राजनीतिक नेताओं के लिए हमेशा एक चुनौती होती है।