नई दिल्ली: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को मोदी सरकार पर भारतीय औषधि फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) के कथित निजीकरण की योजना को लेकर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इस फैसले के पीछे सरकार का मकसद क्या है, सिवाय “चुनिंदा दोस्तों की तिजोरियां भरने” के?
प्रियंका गांधी के ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इस सरकारी फार्मास्युटिकल कंपनी के निजीकरण की योजना से स्थानीय निवासियों में चिंता बढ़ गई है, जिनकी आजीविका पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
प्रियंका गांधी ने पूछा, “लाभदायक मिनी रत्न फार्मास्युटिकल कंपनी को बेचने के पीछे सरकार का क्या इरादा है?”
उन्होंने अपने हिंदी पोस्ट में बताया, “उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मोहान में स्थित भारतीय औषधि फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) को 1978 में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मिलकर स्थापित किया गया था।”
प्रियंका गांधी ने बताया कि यह आयुर्वेद और यूनानी दवाओं का प्रमुख कारखाना है, जो देशभर और विदेशों में भी दवाओं की आपूर्ति करता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल इस कंपनी ने 18 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था और सरकार को 6 करोड़ रुपये का लाभांश देने की तैयारी कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस इकाई में 500 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं और हजारों छोटे किसान अपनी उपज और कच्चे माल की आपूर्ति इस कंपनी को करते हैं।
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया, “लाभदायक दवा फैक्ट्री को बेचने की योजना आयुर्वेद और आयुष को बढ़ावा देने के दिखावे की सच्चाई को उजागर कर रही है।” उन्होंने कहा, “देश की बेशकीमती संपत्तियों को चुनिंदा दोस्तों के हवाले कर उनकी तिजोरियां भरने के सिवाय और क्या मकसद हो सकता है?”