गांधीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया और यहां राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में वन्यजीव संरक्षण के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों की समीक्षा की गई, जिनमें नए संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण और प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड जैसे प्रमुख कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री ने डॉल्फिन और एशियाई शेरों के संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए, अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस की स्थापना पर भी चर्चा की। उन्होंने नदी डॉल्फिन की संख्या पर आधारित देश की पहली रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें बताया गया कि देश में कुल 6,327 नदी डॉल्फिन हैं। यह रिपोर्ट आठ राज्यों की 28 नदियों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई है।
प्रधानमंत्री ने डॉल्फिन संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों और ग्रामीणों की भागीदारी पर भी बल दिया और स्कूलों में जागरूकता यात्राओं का आयोजन करने की सलाह दी। इसके साथ ही, उन्होंने जूनागढ़ में राष्ट्रीय वन्यजीव रेफरल सेंटर की आधारशिला रखी, जो वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
एशियाई शेरों के संरक्षण के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने आगामी 2025 में शेरों की जनसंख्या का अनुमान लगाने के 16वें चक्र की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने बर्दा वन्यजीव अभयारण्य में शेरों के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने की बात भी कही। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री ने मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रभावी प्रबंधन के लिए कोयंबटूर में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की योजना बनाई, जो राज्य सरकारों को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने वन्यजीवों की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग, भू-स्थानिक मानचित्रण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने बाघों के संरक्षण के लिए एक नई योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य बाघ अभयारण्यों के बाहर के क्षेत्रों में मानव-बाघ संघर्ष को संबोधित करना है।
प्रधानमंत्री ने घड़ियालों और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिए भी नई परियोजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों और पारंपरिक ज्ञान के उपयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने गिर में फ्रंटलाइन वन कर्मचारियों के लिए मोटरसाइकिलों को हरी झंडी दिखाई और उनके साथ बातचीत की, जिससे उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके।
प्रधानमंत्री के इस दौरे और बैठक से वन्यजीवों के संरक्षण में भारत के प्रयासों को नई दिशा और गति मिल सकती है।