प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025: महंत रवींद्र पुरी का विवादित बयान, गैर-हिंदुओं को दुकानें लगाने की अनुमति न देने की दी सलाह
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 12 वर्ष बाद लगने जा रहे महाकुंभ मेले की तैयारियां जोरों-शोरों से जारी हैं। प्रयागराज की सड़कें रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रही हैं और इस बार के कुंभ मेले में देश-दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन धर्म-कर्म के इस बड़े आयोजन के बीच एक विवादित बयान सामने आया है, जिसने सुर्खियां बटोरी हैं।
महंत रवींद्र पुरी का बयान
कुंभ मेले में आने वाले सैकड़ों नागा बाबाओं की ओर से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी ने बुधवार को एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ-2025 में गैर-हिंदुओं को दुकानें लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उनका कहना था, “अगर चाय की दुकानों, जूस की दुकानों और फूलों की दुकानों को गैर-हिंदुओं को दिया गया, तो वे थूकेंगे, पेशाब करेंगे, और हमारे नागा साधु कार्रवाई करने पर मजबूर हो जाएंगे। अगर ऐसी कोई घटना हुई और किसी को चोट पहुंची, तो इससे दुनिया भर में गलत संदेश जाएगा।”
महंत रवींद्र पुरी ने यह भी कहा कि कुंभ मेला सुंदर, स्वच्छ, भव्य, दिव्य और शांतिपूर्ण होना चाहिए, और इसके लिए यह जरूरी है कि गैर-हिंदुओं को इस आयोजन से दूर रखा जाए, ताकि कार्यक्रम की सुरक्षा और पवित्रता बनी रहे।
प्रधानमंत्री मोदी का एकता का संदेश
महंत रवींद्र पुरी का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस आह्वान के ठीक दो दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने देशवासियों से समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने की अपील की थी। प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में समाज में विभाजन और नफरत की भावना को खत्म करने की बात की थी और देशवासियों से एकजुट रहने की अपील की थी।
पीएम मोदी ने कुंभ मेला को विविधता में एकता का उदाहरण बताते हुए कहा था, “महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में नहीं है, बल्कि इसकी विविधता में भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग जुटते हैं, लाखों साधु-संत, हजारों परंपराएं, सैकड़ों पंथ, कई अखाड़े – हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है। कहीं कोई भेदभाव नहीं है, कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं। विविधता में एकता का ऐसा दृश्य दुनिया में कहीं और नहीं देखा जाएगा।”
सामाजिक और धार्मिक बहस
महंत रवींद्र पुरी का बयान इस मामले में एक नई बहस को जन्म दे सकता है, खासकर जब प्रधानमंत्री मोदी देश में एकता और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस तरह के बयान न केवल धार्मिक लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील माने जा रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का मेला आयोजन और उसके सुरक्षा, व्यवस्था, और सांस्कृतिक महत्व पर क्या असर पड़ेगा।