नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि विरासत सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि मानवता की ‘साझा चेतना’ है. प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में विरासत की सार्वभौमिकता को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि जब भी कोई ऐतिहासिक स्थलों को देखता है, तो हमारा मन वर्तमान भू-राजनीतिक कारकों से ऊपर उठ जाता है.
पीएम ने अपने संबोधन में केदारनाथ मंदिर का भी किया जिक्र
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में प्रदर्शनी के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि प्राचीन कलाकृतियों की वापसी वैश्विक उदारवाद एवं इतिहास के प्रति सम्मान की भावना को दर्शाती है. पीएम मोदी ने कहा कि 46वां डब्ल्यूएचसी सत्र ‘विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यताओं में से एक’ में हो रहा है. प्रधानमंत्री ने उन अभियांत्रिकी उपलब्धियों की भी सराहना की जो प्राचीन विरासत स्थलों में दिखाई देती हैं. उन्होंने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर और तमिलनाडु में चोल शासकों द्वारा निर्मित बृहदीश्वर मंदिर का हवाला दिया.
भारत की विरासत सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि विज्ञान भी है
उन्होंने कहा, ‘भारत की विरासत सिर्फ इतिहास नहीं है, यह विज्ञान भी है. भारत की विरासत में, शीर्ष स्तर की अभियांत्रिकी की गौरवशाली यात्रा भी देखी जाती है. विरासत के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘विरासत केवल इतिहास नहीं है, यह मानवता की साझा चेतना है. जब भी हम ऐतिहासिक स्थलों को देखते हैं, तो हमारा मन वर्तमान भू-राजनीतिक कारकों से ऊपर उठ जाता है.
लोगों को विरासत का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया
पीएम मोदी ने लोगों को विश्व कल्याण के वास्ते विरासत की इस क्षमता का उपयोग करने और दिलों को जोड़ने के लिए विरासत का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा, यह दुनिया के देशों से भारत का आह्वान है कि वे एक-दूसरे की विरासत को बढ़ावा देने और मानव कल्याण की भावना को बढ़ाने. इसके अलावा पर्यटन को प्रोत्साहित करने व विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए एक साथ आएं.