पटना: दो दिवसीय बिहार साहित्य महोत्सव का विधिवत शुभारंभ बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक श्री अशोक कुमार सिन्हा द्वारा किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ उषा सिन्हा और डॉ भगवती प्रसाद द्विवेदी ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। कार्यक्रम की शुरुआत किरण दृष्टि संस्था के कलाकारों द्वारा स्वागत गीत और स्वागत नृत्य की प्रस्तुति से हुई।
साहित्यिक उद्देश्य और सहभागिता
बिहार साहित्य महोत्सव के अध्यक्ष श्री कमल किशोर वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस महोत्सव का उद्देश्य साहित्य की विभिन्न विधाओं की प्रस्तुति, कवि सम्मेलन, मुशायरा, पुस्तक लोकार्पण, पुस्तक समीक्षा, साहित्यिक और सामाजिक परिचर्चा के माध्यम से समाज में साहित्यिक माहौल और ऊर्जा का संचार करना है। इस महोत्सव में हिंदी-उर्दू के अलावा बिहार की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं जैसे भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, और बज्जिका के साहित्यकारों की भी सहभागिता रही।
स्मारिका का लोकार्पण और विशेष भाषण
महोत्सव के दौरान बिहार साहित्य महोत्सव की स्मारिका और डॉ अभिषेक के काव्य संग्रह का लोकार्पण भी किया गया। डॉ अशोक कुमार सिन्हा ने हिंदी साहित्य में भाषा के संकट पर अपने विचार प्रस्तुत किए, जबकि डॉ उषा सिन्हा ने भाषा और वर्तनी पर विस्तृत चर्चा की।
नेपाल की टीम की सहभागिता और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
पड़ोसी देश नेपाल से मातृभूमि साहित्य संस्था की पांच सदस्यीय टीम ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। नेपाल के साहित्यकारों ने अपनी प्रस्तुति नेपाली भाषा में दी, जो भारत-नेपाल संबंधों को मजबूत बनाने में सहायक होगी। इस आयोजन में हिंदी-उर्दू के अलावा विभिन्न बिहार की क्षेत्रीय भाषाओं में काव्य पाठ और ग़ज़ल प्रस्तुतियों का आनंद लिया गया।
लघुकथा सत्र और सम्मान समारोह
लघुकथा सत्र में लघुकथा लेखन पर विचार एवं लघुकथा का पाठ रवि कुमार श्रीवास्तव, तनुजा सिन्हा, रंजना सिंह समेत अन्य साहित्यकारों ने किया। जाने माने साहित्यकार कमल नयन श्रीवास्तव को ‘साहित्य सेवि’ सम्मान से नवाजा गया। सभी प्रतिभागियों को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह और सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और धन्यवाद ज्ञापन
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ सिम्मी सिन्हा वर्मा का गायन, विशाल राव, मीनाक्षी चौधरी, रत्नाकर भट्ट और इशान की प्रस्तुतियाँ ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच संचालन कृष्णा ने किया। कार्यक्रम के अंत में संस्था के सचिव नसीम अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि साहित्य सृजन का लाभ तभी संभव है जब साहित्य का संप्रेषण समाज में व्यापक रूप से हो। इस तरह के साहित्यिक उत्सवों से लोगों को साहित्य से रूबरू कराया जा सकता है।