भुवनेश्वर: नया साल आपके लिए भारत के एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थल की सैर करने का बेहतरीन मौका हो सकता है। यह स्थल है कोणार्क सूर्य मंदिर, जो ओडिशा राज्य में स्थित है। 772 साल पुराना यह मंदिर दुनियाभर से सैलानियों को आकर्षित करता है। यदि आप भी जनवरी 2025 में परिवार के साथ ऐतिहासिक स्थलों की सैर पर जाना चाहते हैं, तो कोणार्क सूर्य मंदिर आपके यात्रा की लिस्ट में होना चाहिए।
मंदिर का इतिहास और संरचना
कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 1250 ई. में गांग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर का उद्देश्य भगवान सूर्य की पूजा करना था। राजा नरसिंहदेव ने इस मंदिर के निर्माण में अपने पूरे 12 वर्षों के राजस्व को लगा दिया था, जैसा कि अबुल फजल ने अपनी पुस्तक आइन-ए-अकबरी में लिखा था।
यह मंदिर बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बना है और इसे कलिंग शैली में बनाया गया है। मंदिर की संरचना एक विशाल रथ के आकार में है, जिसमें कुल 12 जोड़ी पहिए हैं। प्रत्येक पहिए का व्यास लगभग 3 मीटर है, और इन्हें धूप धड़ी कहा जाता है, क्योंकि यह समय बताने का काम करते हैं। मंदिर के रथ में सात घोड़े हैं, जो सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक माने जाते हैं।
विशेष आकर्षण
मंदिर का मुख्य आकर्षण है भगवान सूर्य की विशाल प्रतिमा, जो रथ पर सवार हैं। यह रथ पूर्व दिशा की ओर इस तरह से बनाया गया है कि सूरज की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर सीधे पड़ती है। मंदिर का प्रवेश द्वार दो अद्भुत मूर्तियों से सुसज्जित है – एक मूर्ति में सिंह के नीचे हाथी और हाथी के नीचे मानव शरीर है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में स्थान
कोणार्क सूर्य मंदिर को 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था। यह मंदिर पुरी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो इसे एक प्रमुख पर्यटक स्थल बनाता है।
किंवदंती और रहस्यमय कहानियाँ
कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में एक दिलचस्प किंवदंती भी प्रचलित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1200 कुशल शिल्पियों ने 12 साल में किया था, लेकिन मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया था। इसके बाद मुख्य शिल्पकार दिसुमुहराना के बेटे धर्मपदा ने मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया। मंदिर完成 होने के बाद, धर्मपदा ने चंद्रभागा नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। यह नदी अब विलुप्त हो चुकी है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक महत्ता अब भी जीवित है।
कैसे पहुंचें?
कोणार्क सूर्य मंदिर तक पहुंचने के लिए आप पुरी से यात्रा कर सकते हैं, क्योंकि यह मंदिर पुरी से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पुरी में स्थित भुवनेश्वर एयरपोर्ट से भी कोणार्क आसानी से पहुँचा जा सकता है।
इस नए साल पर आप भी इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल की सैर कर सकते हैं और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव ले सकते हैं।