राजस्थान SI भर्ती 2021 पेपर लीक मामले में नया मोड़, थानेदार प्रियंका गोस्वामी फरार
एसओजी और जैसलमेर पुलिस की संयुक्त तलाश जारी
जयपुर: राजस्थान पुलिस में एसआई भर्ती 2021 पेपर लीक मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। जैसलमेर पुलिस लाइन में तैनात थानेदार प्रियंका गोस्वामी, जो पेपर लीक के मास्टरमाइंड पोरव कालेर की सगी साली हैं, एसओजी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद फरार हो गई हैं। 18 मार्च को एसओजी ने प्रियंका को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था और 21 मार्च को वह जयपुर के लिए रवाना हुईं। लेकिन रास्ते में ही वह लापता हो गईं और उनका फोन स्विच ऑफ हो गया। वह न तो एसओजी कार्यालय पहुंची और न ही जैसलमेर पुलिस लाइन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अब एसओजी और जैसलमेर पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई हैं।
पोरव कालेर से जुड़े तार
एसओजी के एडीजी वीके सिंह के अनुसार, पेपर लीक मामले के मास्टरमाइंड पोरव कालेर से पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ कि उसने करीब 15 से 20 ट्रेनी एसआई को लीक हुआ पेपर पढ़ाया था। प्रियंका गोस्वामी की दोस्त मोनिका भी इस रैकेट का हिस्सा थी। प्रियंका को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह फरार हो गईं। अब एसओजी के निशाने पर 10 से ज्यादा ट्रेनी एसआई हैं, जिनसे पूछताछ की जाएगी। एडीजी ने कहा कि अगर कोई ट्रेनी एसआई सही तरीके से भर्ती हुआ है तो उसे जांच में सहयोग करना चाहिए, क्योंकि फरार हो रहे लोग खुद को दोषी साबित कर रहे हैं।
पेपर लीक में शामिल ट्रेनी एसआई की गिरफ्तारी की तैयारी
एसओजी ने प्रदेशभर में पेपर लीक कर नकल से पास हुए ट्रेनी एसआई के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया है। वर्तमान में 10 से ज्यादा ट्रेनी एसआई की जांच चल रही है, और एसओजी इन्हें एक-एक कर पकड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। बाड़मेर, अजमेर, बीकानेर और जोधपुर पुलिस लाइनों के कई ट्रेनी एसआई इस जांच के घेरे में हैं। एसओजी ने इन जिलों में अपनी जांच का फोकस बढ़ा दिया है।
कांग्रेस नेता नरेश देव सहारण भी जांच के घेरे में
इस मामले में बाड़मेर के कांग्रेस नेता नरेश देव सहारण को भी डिटेन किया गया है। उन्हें एसओजी कार्यालय में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। यदि जांच में वे दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि एसओजी ने एक महीने पहले इस मामले में मुख्य आरोपी हरीश सारण उर्फ हीराराम सारण को इंदौर से गिरफ्तार किया था, और जांच के दौरान नरेश देव सहारण का नाम भी सामने आया था। राजनीतिक रसूख के चलते वह अब तक कार्रवाई से बचता रहा था।